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दीप संस्कृति और महालक्ष्मी का अवतरण

दीप संस्कृति और महालक्ष्मी का अवतरण

सत्येन्द्र कुमार पाठक
पुरणों , उपनिषदों एवं सनातन धर्म तथा जैन , बौद्ध धर्म ग्रंथों में दीपावली का उल्लेख किया गया है । उत्तरी गोलार्द्ध शरद ऋतु कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या में प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला सनातन संस्कृति का त्यौहार दीपावली है । दीपावली दीपों का त्योहार तथा आध्यात्मिक रूप से यह 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' दर्शाता है ।दीपावली को दीपावली , दीप दिवस , काली पूजा, दीपावली , सुखरात्रि , मोक्ष दिवस (जैन), बंदी छोड़ दिवस , माता लक्ष्मी अवतरण दिवस , राजा बलि का पाताल लोक का राज्याभिषेक दिवस , भगवान राम का अयोध्या आगमन 14 वर्षो के बाद आगमन दिवस , जैन धर्म के लोग महावीर के मोक्ष दिवस तथा तथा सिख धर्म में बन्दी छोड़ दिवस मनाता है।दीपावली के अवसर पर नेपाल, भारत, श्रीलंका, म्यांमार, मारीशस, गुयाना, त्रिनिदाद ,टोबैगो, सूरीनाम, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया की बाहरी सीमा पर क्रिसमस द्वीप पर एक सरकारी अवकाश होता है।भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बिहार , झारखंड , उत्तरप्रदेश ,मध्य प्रदेश , राजस्थान , गुजरात के दिवाली , 'दीपावली' (उड़िया), दीपाबॉली'(बंगाली), 'दीपावली' (असमी, कन्नड़, मलयालम:, तमिल: और तेलुगू), 'हिन्दी,दिवाली, मराठी:दिवाळी, कोंकणी:दिवाळी,पंजाबी), 'दियारी' (सिंधी:दियारी‎), और 'तिहार' (नेपाली) मारवाड़ी में दियाळी कहा गया है । पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीवाली का उल्लेख में पहली सहस्त्राब्दी के दूसरे भाग में किन्हीं केंद्रीय पाठ को विस्तृत कर लिखे गए थे। दीये (दीपक) को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है । भगवान सूर्य जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा का लौकिक दाता है और विक्रम पंचाग अनुसार कार्तिक माह में अपनी स्तिथि बदलता है । कुछ क्षेत्रों में हिन्दू दीवाली को यम और नचिकेता की कथा के साथ हैं। नचिकेता की कथा के अनुसार सही बनाम गलत, ज्ञान बनाम अज्ञान, सच्चा धन बनाम क्षणिक धन आदि के बारे में बताती है; पहली सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व उपनिषद में लिखित है।
दिवाली के दिन श्री राम चन्द्र जी ने माता सीता को रावण की कैद से छुटवाया था, तथा फिर माता सीता की अग्नि परीक्षा लेकर 14 वर्ष का वनवास व्यतीत कर अयोध्या वापस लोटे थे। जिसके उपलक्ष्य में अयोध्या वासियों ने दीप जलाए थे, तभी से दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। 7 वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागनंद में राजा हर्ष ने दीपप्रतिपादुत्सवः कहा है । दीये जलाये जाते और नव वर-बधू को उपहार दिए जाते थे। 9 वीं शताब्दी में राजशेखर ने काव्यमीमांसा में दीपमालिका कहा है । घरों की पुताई और तेल के दीयों से रात में घरों, सड़कों और बाजारों सजाया जाता था। फारसी यात्री और इतिहासकार अल बेरुनी, ने भारत पर ११ वीं सदी के संस्मरण में, दीवाली को कार्तिक महीने में नये चंद्रमा के दिन पर हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार कहा है। दीपावली नेपाल और भारत में सबसे सुखद है। लोग अपने घरों को साफ कर उन्हें उत्सव के लिए सजाते हैं। नेपालियों का नेपाल संवत में नया वर्ष शुरू होता है। दीपावली नेपाल और भारत स्वयं और अपने परिवारों के लिए कपड़े, उपहार, उपकरण, रसोई के बर्तन आदि खरीदते हैं। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष अमावस्या की दिवाली धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा का दुर्लभ संयोग रहा है । ज्योतिष शास्त्र के अुनसार दिवाली में सूर्य , चंद्रमा ,बुध और मंगल ग्रह तुला राशि में रहने से दिवाली लोगों के लिए अत्यंत शुभ रहेगी । तुला राशि के स्वामी शुक्र रहने से लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है. ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को लग्जरी लाइफ, सुख-सुविधाओं आदि का कारक माना है । सूर्य को ग्रहों का राजा, मंगल को ग्रहों का सेनापति और बुध को ग्रहों का राजकुमार है । चंद्रमा को मन का कारक है । सूर्य पिता एवं चंद्रमा को माता कारक माना गया है दीपावली में भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इन्द्र ने स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी। भगवान विष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसी दिन माता काली भी प्रकट हुई थी इसलिए बंगाल में दीपावली के दिन कालिका की पूजा होती है। भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। कहते हैं कि श्रीराम रावण का वध करने के 21 दिन बाद अयोध्या लौटे थे। राम विजयोत्सव के रूप में दीप जलाए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करने के पश्चात दीप जलाए गए थे। भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस है। जैन मंदिरों में निर्वाण दिवस मनाया जाता है। गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में लाखों दीप जला कर दीपावली मनाई थी। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था।गुप्तवंशीय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने 'विक्रम संवत' की स्थापना करने के लिए धर्म, गणित तथा ज्योतिष के दिग्गज विद्वानों को आमन्त्रित कर मुहूर्त निकलवाया था। अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। दिवाली में सिक्खों के छ्टे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था। आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण हुआ था। नेपाल संवत में नया वर्ष आरम्भ होता है । बादशाह अकबर द्वारा 100 फीट ऊंची बाँस को रंगीन कर आकाशदीप प्रज्ज्वलित कर दीपोत्सव मनाया गया था । दीवाली को कैंडिल दिवस कहा गया है ।सांझा संस्कृति का द्योतक दीपावली हैं।
दीपावली: प्रकाश का पर्व और सनातन संस्कृति का महापर्व - दीपावली, जिसे 'दीपों का त्योहार' भी कहा जाता है, सनातन संस्कृति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और हर्षोल्लास भरा पर्व है। उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु के कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला यह त्यौहार आध्यात्मिक रूप से 'अन्धकार पर प्रकाश की विजय' का प्रतीक है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे 'दीपावली', 'दिवाली', 'दीपाबॉली' (बंगाली), 'दियारी' (सिंधी), और नेपाल में 'तिहार' जैसे अनेक नामों से जाना जाता है। जैन धर्म में इसे मोक्ष दिवस और सिख धर्म में बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है।।दीपावली की व्यापकता केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो, पाकिस्तान तथा ऑस्ट्रेलिया के क्रिसमस द्वीप पर भी यह एक सरकारी अवकाश होता है। दीपावली के उत्सव के पीछे अनेक महत्वपूर्ण पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं, जिनका उल्लेख पुराणों, उपनिषदों, जैन, बौद्ध एवं सनातन धर्म ग्रंथों में मिलता है:भगवान राम का अयोध्या आगमन: सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, इसी दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास और रावण-वध के बाद माता सीता के साथ अयोध्या वापस लौटे थे। अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत में घी के दीपक जलाए थे, तभी से यह उत्सव मनाया जाता है।देवी लक्ष्मी का अवतरण: कार्तिक अमावस्या की दिवाली धन की देवी माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का दुर्लभ संयोग होती है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के पश्चात इसी दिन माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं।
राजा बलि का राज्याभिषेक: भगवान विष्णु ने वामन रूप में राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था।
नरकासुर वध और नरसिंह अवतार: भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, तथा भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
महावीर का मोक्ष दिवस: जैन धर्म के लोग इस दिन को भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं।
बंदी छोड़ दिवस: 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास और सिक्खों के छ्ठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था, जिसके उपलक्ष्य में सिख समुदाय इसे 'बंदी छोड़ दिवस' के रूप में मनाता है।
महर्षि दयानंद का निर्वाण: आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का भी इसी दिन निर्वाण हुआ था।सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक: उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक इसी दिन हुआ था, जिन्होंने 'विक्रम संवत' की स्थापना की थी।
पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में दीवाली का उल्लेख मिलता है, जहाँ दीये (दीपक) को सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है। सातवीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागनंद में राजा हर्ष ने इसे दीपप्रतिपादुत्सवः कहा है, और नौवीं शताब्दी में राजशेखर ने काव्यमीमांसा में इसका उल्लेख दीपमालिका के रूप में किया है।
इस पर्व पर लोग अपने घरों की सफाई कर उन्हें उत्सव के लिए सजाते हैं। घरों को तेल के दीयों से, सड़कों और बाजारों को सजाया जाता है। दीपावली स्वयं और अपने परिवारों के लिए नए कपड़े, उपहार, उपकरण आदि खरीदने का भी शुभ अवसर है।दीपावली एक ऐसा महापर्व है जो अनेक धर्मों, समुदायों और संस्कृतियों को एक सूत्र में पिरोता है, इसलिए इसे सांझा संस्कृति का द्योतक भी कहा गया है। यह सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि ज्ञान बनाम अज्ञान, सच्चा धन बनाम क्षणिक धन और सही बनाम गलत के शाश्वत मूल्यों को दर्शाने वाला प्रकाशपर्व है।


दीपावली एक ऐसा प्राचीन पर्व है जिसका संबंध भारतीय कालगणना के चारों युगों - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग से जोड़ा जाता है। साथ ही, यह त्यौहार वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है और माता लक्ष्मी के कई भव्य मंदिर विश्वभर में स्थापित हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं और ग्रंथों के अनुसार, दीपावली का पर्व किसी एक युग की घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर युग में किसी न किसी महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा रहा है। सतयुग में हुए समुद्र मंथन से जुड़ी है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) को स्वास्थ्य के आदिदेव धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
माता लक्ष्मी का अवतरण: तत्पश्चात, इसी महामंथन से धन और समृद्धि की देवी माता महालक्ष्मी प्रकट हुई थीं। देवताओं ने उनके स्वागत में प्रथम दीपावली मनाई थी, जिसने इस पर्व को धन और समृद्धि से जोड़ दिया।
त्रेतायुग की दीपावली भगवान राम के नाम से सबसे अधिक पहचाना जाता है। महाबलशाली राक्षस रावण को पराजित कर 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करने के बाद भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। : अयोध्यावासियों ने उनके आगमन पर सारी नगरी को दीपमालिकाओं से सजाया था। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय (अधर्म पर धर्म की विजय) का प्रतीक बना।
. द्वापर युग की दीपावली भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा है। यह पर्व वर्तमान में कई आध्यात्मिक और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा है।महावीर का मोक्ष: जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने इसी दिन मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त किया था।बंदी छोड़ दिवस: सिखों के छठे गुरु श्री हरगोबिंद सिंह जी को ग्वालियर के किले से रिहा किया गया था।विक्रम संवत का आरंभ: उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ और विक्रम संवत की स्थापना की गई थी।महर्षि दयानंद का निर्वाण: आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण हुआ था।: कलियुग में यह मुख्य रूप से माँ लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा और सामाजिक सद्भाव के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। भारत और विश्व के कई देशों में माता लक्ष्मी के भव्य मंदिर हैं । श्रीपुरम महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर वेल्लोर, तमिलनाडु, भारत इसे 'दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर' भी कहा जाता है, जो 15,000 किलो से अधिक शुद्ध सोने से निर्मित है।श्रीपद्मावती देवी मंदिर तिरुचानूर, आंध्र प्रदेश, भारत यह देवी पद्मावती (जो माँ लक्ष्मी का ही रूप हैं) को समर्पित विश्व प्रसिद्ध मंदिर है।महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर, महाराष्ट्र, भारत इसे अंबाबाई मंदिर भी कहा जाता है, जो लगभग सातवीं शताब्दी का है और इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। महालक्ष्मी मंदिर मुंबई, महाराष्ट्र, भारत दक्षिण मुंबई में स्थित, यह 'भाग्य की देवी' को समर्पित सबसे पुराने और पूजनीय मंदिरों में से एक है। लक्ष्मीनारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर) नई दिल्ली, भारत यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है, जो अपनी भव्य वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।रत्लाम महालक्ष्मी मंदिर रतलाम, मध्य प्रदेश, भारत यहाँ दीपावली के दौरान माँ की मूर्ति का श्रृंगार भक्तों द्वारा दान किए गए करोड़ों रुपयों के नोटों और आभूषणों से किया जाता है, जिसे बाद में प्रसाद के रूप में लौटा दिया जाता है। लक्ष्मीनारायण मंदिर फीनिक्स, संयुक्त राज्य अमेरिका विदेशों में भी कई लक्ष्मी मंदिर हैं, जो भारतीय प्रवासियों के बीच आस्था का केंद्र हैं। लक्ष्मीनारायण मंदिर मॉरिशस मॉरिशस में भारतीय मूल के लोगों द्वारा निर्मित भव्य मंदिरों में से एक। विभिन्न देशों में दीपावली का स्वरूपदीपावली अब एक वैश्विक त्यौहार बन चुका है, जिसे विभिन्न देशों में वहाँ की स्थानीय संस्कृति के साथ मनाया जाता है: नेपाल तिहार या स्वांति यह पाँच दिनों तक मनाया जाता है। पहले दो दिन कौवे और कुत्तों को भोजन कराया जाता है, तीसरे दिन लक्ष्मी पूजा होती है, चौथे दिन गोवर्धन पूजा/नया साल (नेपाल संवत), और पाँचवें दिन भाई टीका (भाई दूज) मनाया जाता है। श्रीलंका दीपावली तमिल समुदाय द्वारा मनाया जाता है। लोग तेल स्नान के बाद नए कपड़े पहनते हैं, पूजा (पोसई) करते हैं और पटाखे छोड़ते हैं। यह रामायण से भी जुड़ा हुआ है। मलेशिया हरि दिवाली एक राष्ट्रीय अवकाश है। लोग तेल स्नान के बाद पारंपरिक पूजा-पाठ करते हैं। कुछ जगहों पर मेले भी लगते हैं।सिंगापुर दीपावली यह भी एक राष्ट्रीय अवकाश है। यहाँ की दीपावली को 'नन्हें भारत' में दीपावली मनाने जैसा माना जाता है, जिसमें बड़े सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। थाईलैंड क्रियोंध दीपावली को क्रियोंध के नाम से जाना जाता है। इस दिन केले की पत्तियों से दीये (क्रथोंग) बनाए जाते हैं, जिन्हें रात में जलाकर पानी में प्रवाहित किया जाता है। ब्रिटेन दीपावली भारत के बाहर इस त्यौहार को सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ के लिस्टेस्टर जैसे शहर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और बड़े सार्वजनिक आयोजन होते हैं।त्रिनिदाद और टोबैगो दीपावली कैरेबियाई देशों में बड़ी संख्या में भारतीय बसे हैं। यहाँ खूब धूमधाम से दीये जलाए जाते हैं और सामूहिक उत्सव होते हैं। जापान ओनियो (समान त्योहार) यहाँ दीपावली जैसा ही एक 'लाइटनिंग' त्योहार मनाया जाता है, जहाँ आपदा को खत्म करने के प्रतीक के रूप में छह मशालें जलाई जाती हैं। लोग बगीचों में लालटेन और कागज के पर्दे लटकाते हैं।
कार्तिक कृष्ण अमावस्या का महत्व और भारतीय दीप संस्कृति - कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि है, जो 'दीपावली' के रूप में मनाए जाने के कारण सर्वाधिक पवित्र और शुभ मानी जाती है। यह दिन न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि भारतीय संस्कृति में दीप (दीपक) के आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व को भी स्थापित करता है। कार्तिक मास की अमावस्या को महालक्ष्मी अवतरण दिवस और अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में देखा जाता है । धन और समृद्धि: ब्रह्म पुराण के अनुसार, इसी अमावस्या की रात्रि को देवी महालक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। इसलिए इस दिन विधि-विधान से माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन करने से घर में धन, वैभव और सुख-समृद्धि का स्थायी वास होता है। : दीपावली के लिए लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में अमावस्या तिथि की उपस्थिति में ही किया जाता है, जो इस रात्रि को तंत्र और मंत्र साधना के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है। पद्म पुराण में बताया गया है कि कार्तिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, जिसका फल कभी नष्ट नहीं होता। अमावस्या पितरों की पूजा और तर्पण (पिंडदान) के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है। इस दिन दीपदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन तीर्थ स्थान पर स्नान करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट होते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह तिथि युगों-युगों से चली आ रही कई ऐतिहासिक घटनाओं का संगम है: श्रीराम की अयोध्या वापसी: त्रेतायुग में भगवान राम के 14 वर्ष का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटने की खुशी में दीप जलाए गए थे। महावीर का निर्वाण: जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर को इसी दिन मोक्ष प्राप्त हुआ था।बंदी छोड़ दिवस: सिख धर्म के छठे गुरु हरगोबिंद सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था।
I भारतीय दीप संस्कृति (दीपक का दर्शन) - दीपावली का केंद्र दीपक है, जो भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में मात्र प्रकाश का स्रोत नहीं, बल्कि परम ब्रह्म का प्रतीक है। दीपक अज्ञान के अंधकार पर ज्ञान के प्रकाश की विजय का प्रतीक है। यह बाहरी और आंतरिक दोनों प्रकार के अंधकार को दूर करने का द्योतक है। आत्म-ज्योति: सनातन परंपरा में माना गया है कि सबसे महत्वपूर्ण दीप स्वयं मनुष्य की आत्मा है। उपनिषदों में ब्रह्म को 'परम-ज्योति' कहा गया है। दीपावली हमें 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' (अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो) के महावाक्य का स्मरण कराती है। दीप-मंत्र (जैसे "दीपज्योतिः परम् ज्योति, दीपज्योतिर्जनार्दनः") में दीपक की ज्योति को साक्षात् परम ज्योति और भगवान (जनार्दन) का स्वरूप माना गया है। यह लौकिक प्रकाश के माध्यम से दैवीय चेतना (नूर या डिवाइन लाइट) की ओर इंगित करता है।पवित्रता और शुभता: भारतीय संस्कृति में कोई भी धार्मिक या मांगलिक कार्य बिना दीपक प्रज्वलित किए शुरू नहीं होता। दीपक को अग्नि का ही रूप माना जाता है, जो पवित्रता और जीवन का कारक है। दीपावली के दिन घर की छत, दहलीज और मुंडेर पर मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं। आचार्य कुबेरनाथ राय के अनुसार, यह मनुष्य-निर्मित प्रकाश द्वारा अंधकार-विजय की रात्रि है। एक-दूसरे के द्वार पर दीप रखना एकता और सद्भाव की भावना को दर्शाता है कि हम सब एक ही प्रकाश में जी रहे हैं। पंच महाभूतों का समन्वय: मिट्टी का दीपक धरती तत्व, तेल अग्नि तत्व, और उसकी लौ स्वयं प्रकाश तत्व का प्रतीक है। यह मानव-पुरुषार्थ और प्रकृति के समन्वय को भी दर्शाता है। , कार्तिक कृष्ण अमावस्या पर मनाया जाने वाला दीपावली का पर्व, भारतीय दीप संस्कृति का वह उच्चतम प्रस्फुटन है, जो हमें भौतिक समृद्धि के साथ-साथ आत्मिक उन्नति और नैतिकता के प्रकाश की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित है।
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