दिल में रोशनी जलाना ज़रूरी, मगर,
बिना तेल बाती दीपक कैसे जलेगा?ज्ञान की बातें, उपदेश रोज़ ही सुनते,
कुतर्कों से धर्म का ध्वज कैसे बचेगा?
कभी होली पर पानी, दीवाली पटाखे,
शिव पर दूध व्यर्थ, उपदेश देने वालों,
बक़रीद पर खामोशी, जुबां पर लकवा,
अगर सनातन नहीं, मानव कैसे बचेगा?
सूर्यास्त पूर्व भोजन, शास्त्रों ने बताया,
नियम विरूद्ध आचरण, स्वयं ही मरेगा।
शुभ मुहूर्त तलाशना, काम पंडितों का,
शास्त्रों का विलोडन, ज्ञानी ही करेगा।
बदलती हैं घड़ियाँ, बदलती है तारीख़ें,
सनातन से समय तय, होकर ही रहेगा।
दीपावली पूजन तो अमावस्या में होता,
अमावस्या में होता है, होकर ही रहेगा।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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