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आचार्यश्री का अंतिम संदेश..

आचार्यश्री का अंतिम संदेश..

गुरुवर के बताये मार्ग पर,
अब तुमको अकेले चलना।
ये जीवन है तुम्हारा,
तुमको ही ध्यान रखना।।

दुनिया के दुखो को सहना
और कुछ किसी को न कहना।
स्वध्या के बल पे
आगे ही बढ़ते रहना।
रख दोगे एक दिन तुम
संसार को बदल के।
गुरुवर के बताये मार्ग पर,
अब तुमको अकेले चलना।
ये जीवन है तुम्हारा,
तुमको ही ध्यान रखना।।

अपने हो या पराये
सबके लिए देना ज्ञान तुम।
देखो कदम तुम्हारे हरगिज न डगमगाये।
रास्ते बहुत कठिन है
चलना सभ्भल सभंल कर।
गुरुवर के बताये मार्ग पर,
अब तुमको अकेले चलना।
ये जीवन है तुम्हारा,
तुमको ही ध्यान रखना।।

सभी के शीश पर तुम
समान भाव रखना।
अपने ज्ञान से तुम
सबका कल्याण करना।
जीवन फिर से मिलेगा
ये बात याद रखना।
गुरुवर के बताये मार्ग पर,
अब तुमको अकेले चलना।
ये जीवन है तुम्हारा,
तुमको ही ध्यान रखना।।

मैंने तो मुक्ति पा ली
स्वयं के कर्मो से।
अब तुमको मुक्ति का मार्ग
स्वयं ही खोजना है।
मिलूँगा मैं हर कदम पर
जब भी पुकारोंगे तुम।
बस धर्म के मार्ग से
कभी न तुम भटकना।
गुरुवर के बताये मार्ग पर,
अब तुमको अकेले चलना।
ये जीवन है तुम्हारा,
तुमको ही ध्यान रखना।
संजय दे रहा है आचार्यश्री को
शब्दों से विनायाँजलि।
ये जीवन है तुम्हारा,
तुमको जी ध्यान रखना।।

आचार्यश्री विद्यासागर जी को विनम्र विनायँजलि मैं अपने इस गीत भजन से मैं दे रहा हूँ।

जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई

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