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पटना न्यायमंडल की अदालतें दुर्गा पूजा में रहेंगी बंद

पटना न्यायमंडल की अदालतें दुर्गा पूजा में रहेंगी बंद

  • 28 सितंबर से 6 अक्टूबर तक अवकाश, जरूरी मामलों के लिए डिटेंशन चार्ट जारी
पटना, संवाददाता लक्ष्मण पाण्डेय।

दुर्गा पूजा महापर्व के अवसर पर पटना न्यायमंडल की सभी अदालतें 28 सितंबर 2025 (रविवार) से लेकर 6 अक्टूबर 2025 (सोमवार) तक लगातार बंद रहेंगी। इस अवधि में नियमित वाद-विवाद और सामान्य न्यायिक कार्य पूरी तरह स्थगित रहेंगे।

हालाँकि, अवकाश के दौरान जनता की सुविधा और अति आवश्यक कार्यों के निर्वहन के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश, पटना द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं। इसके तहत एक डिटेंशन चार्ट जारी किया गया है, ताकि छुट्टी के दिनों में भी आवश्यक न्यायिक कार्य, विशेषकर जमानत और हिरासत से संबंधित मामलों का निष्पादन निर्बाध रूप से जारी रहे।
डिटेंशन चार्ट की व्यवस्था

डिटेंशन चार्ट के अनुसार, छुट्टी के दिनों में नामित न्यायाधीश और न्यायालय कर्मचारी ड्यूटी पर रहेंगे। वे केवल उन्हीं मामलों की सुनवाई करेंगे, जिन्हें ‘अति आवश्यक’ की श्रेणी में रखा गया है। इसमें मुख्यतः—

  • जमानत आवेदन,
  • रिमांड,
  • हिरासत की अवधि बढ़ाने/समाप्त करने से जुड़े प्रकरण,
  • अन्य तात्कालिक न्यायिक कार्य शामिल होंगे।

नियमित कार्य रहेंगे स्थगित

दुर्गा पूजा अवकाश के दौरान दीवानी और फौजदारी से संबंधित सामान्य वादों की सुनवाई नहीं होगी। सभी नियमित मामलों की अगली तिथि छुट्टी समाप्त होने के बाद ही तय की जाएगी। इससे वादकारियों को कुछ असुविधा अवश्य होगी, लेकिन प्रशासनिक व्यवस्था के तहत तत्कालीन मामलों के लिए न्यायिक प्रक्रिया बाधित नहीं होगी।
न्यायिक प्रक्रिया पर असर नहीं

जिला जज पटना ने स्पष्ट किया है कि छुट्टियों के बावजूद आम जनता और वादकारियों को न्याय से वंचित नहीं किया जाएगा। विशेष ड्यूटी मजिस्ट्रेट और न्यायाधीश आवश्यकतानुसार अदालत की कार्यवाही करेंगे। अदालत परिसर में सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी विशेष गार्ड की तैनाती की जाएगी।
महापर्व और न्याय व्यवस्था दोनों पर जोर

दुर्गा पूजा बिहार सहित पूरे पूर्वी भारत का प्रमुख पर्व है। इस दौरान पूरे राज्य में सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में अवकाश रहता है। न्यायालयों में भी यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। इस वर्ष भी न्यायमंडल ने धार्मिक आस्था और परंपरा का सम्मान करते हुए अदालतों को अवकाश पर रखने का निर्णय लिया है, लेकिन साथ ही न्यायिक प्रक्रिया की निरंतरता सुनिश्चित करने हेतु संतुलित व्यवस्था की गई है।

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