नवरातर के चउथा दिन ,
माई कुष्मांडा के स्वरूप ।
सृष्टि रचना के मूल जड़ ,
सृष्टि रचना पहिला भूप ।।
रउए बानी आदिस्वरूपा ,
रउए त बानीं आदिशक्ति ।
रउए से देव देवी जीव बा ,
रउए से बाटे सब भक्ति ।।
दू दिन बढ़ल चउथ तिथि ,
माई के दू दिन ह मेहमानी ।
सेवक के बढ़ल सेवकाई ,
माई किरपा भोजन पानी ।।
कुष्मांडा माई बड़ा दानी ,
कुष्मांडा माई से सब प्राणी ।
माॅं कुष्मांडा पृथ्वी रचयिता ,
इनके किरपा ज्ञानी विज्ञानी ।।
शेर पर सवार माई कुष्मांडा ,
नवरात बनल पग पग धाम ।
हमहूॅं राउर एगो सेवक बानी ,
अरुण दिव्यांश के बा प्रणाम ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार ।
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