कूष्मांडा मात श्री चरण,खुशियों का प्रपात
चतुर्थ नवरात्र अहम आभा,सर्वत्र मां कूष्मांडा वंदना ।
उपासना स्तुति शीर्ष स्तर,
दर्शन आदर सत्कार अंगना ।
मनमोहक मंद मुस्कान मैया,
त्रिलोक पटल आलोक संजात ।
कूष्मांडा मात श्री चरण,खुशियों का प्रपात ।।
अनूप छवि अष्ट भुजाधारी,
रज रज ओज प्रसरण ।
भक्तजन अलौकिक स्पर्शन,
तन मन कांति संचरण ।
सौर मंडल अधिष्ठात्री मां,
सेतु सघन तिमिर द्वेष पात ।
कूष्मांडा मात श्री चरण,खुशियों का प्रपात ।।
वनराजारूढ़ अक्षय फलदायिनी,
मां रूप भव्य श्रृंगार निराला ।
कर कमंडल धनुष बाण कमल चक्र गदा,
अमृत कलश सिद्धि निधि जपमाला ।
सुख सौभाग्य कृपालु मैया,
कवच दुःख कष्ट संकट आघात ।
कूष्मांडा मात श्री चरण,खुशियों का प्रपात ।।
सृष्टि रचना महाकाज,
त्रिदेव अप्रतिम सहयोग ।
हरित वर्ण अति प्रिया मां ,
चाहना कुम्हड़ बलि योग ।
दैहिक दैविक भौतिक ताप मुक्ति,
मां आदि शक्ति दर्शन उन्मेष कांत ।
कूष्मांडा मात श्री चरण,खुशियों का प्रपात ।।
कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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