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शब्दाक्षर के राष्ट्रीय कार्यक्रम में औरंगाबाद के साहित्यकारों का जलवा

शब्दाक्षर के राष्ट्रीय कार्यक्रम में औरंगाबाद के साहित्यकारों का जलवा

झुंझुनू (राजस्थान) – राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था शब्दाक्षर के तत्वावधान में बन्धे के बालाजी मंदिर सभागार में भव्य राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। तीन दिवसीय इस साहित्यिक महाकुंभ में देश के 25 राज्यों से सैकड़ों कवि-साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे की स्तुति एवं स्वस्तिवाचन के साथ हुआ। राष्ट्रीय संरक्षक गीत ऋषि डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह तथा आयोजन प्रमुख डा. दयाशंकर जांगिड़ की गरिमामयी उपस्थिति ने समारोह को विशेष आभा प्रदान की। आगत कवियों का स्वागत मोतियों की माला, अंगवस्त्र, उत्तरीय एवं स्मृति-चिह्न भेंट कर किया गया।

इस दौरान दस सत्रों में चले कवि-सम्मेलनों का सफल संचालन विभिन्न प्रांतों के पदाधिकारियों ने किया, जिनमें विशेष रूप से बिहार प्रदेश सचिव विनय मामूली बुद्धि और औरंगाबाद जिलाध्यक्ष नागेंद्र कुमार केशरी द्वारा संचालित सत्रों ने बिहार व औरंगाबाद का मान बढ़ाया।

डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने कहा कि “काव्यकारों को रचना से पूर्व विविध भाषा एवं छंद की पुस्तकों का गहन अध्ययन करना चाहिए। परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए साहित्य साधना ही सच्चा मार्ग है।”
वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह एवं राष्ट्रीय प्रचार मंत्री धनंजय जयपुरी ने साहित्यिक आयोजनों को साहित्य के उत्थान के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि ऐसे कवि-सम्मेलन और संगोष्ठियां नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने का कार्य करती हैं।

कार्यक्रम में मंचासीन कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। मनोज पद्मनाभ, मुकेश मारवाड़ी, जनार्दन मिश्र जलज, अनामिका सिंह, संतोष हिन्दवी, राजकुमार प्रतापगढ़िया, सविता बांगड़, अशोक व्यग्र, मधु गोयल, सावित्री सुमन, लखन डेहरिया, मुकेश गोयल, कुसुम अग्नि, अम्बिका मोदी समेत अनेक कवि-कवयित्रियों ने अपनी काव्य-प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

निस्संदेह, शब्दाक्षर का यह आयोजन न केवल साहित्यिक परंपरा को समृद्ध करने वाला सिद्ध हुआ, बल्कि औरंगाबाद के साहित्यकारों की उपस्थिति ने पूरे बिहार का मान बढ़ाया।
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