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शब्दवीणा ने "हिन्दी का गुणगान, करेगा सारा हिन्दुस्तान" राष्ट्रीय विचारगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का किया आयोजन

शब्दवीणा ने "हिन्दी का गुणगान, करेगा सारा हिन्दुस्तान" राष्ट्रीय विचारगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का किया आयोजन

  • लंदन (इंग्लैंड), काठमांडू (नेपाल) एवं भारत के 15 प्रदेशों से शामिल रचनाकारों ने अर्पित की हिन्दी को भावपूर्ण काव्यांजलि
  • वह नहीं कमजोर, जिसमें आत्मबल है - अरुण अपेक्षित
  • "सभी भाषाओं में सबसे अधिक समृद्ध है हिन्दी"
  • "मैं भारत की बेटी हूँ, कर्तव्य निभाने आयी हूँ"

गया जी। राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था 'शब्दवीणा' द्वारा आयोजित "हिन्दी का गुणगान करेगा सारा हिन्दुस्तान" राष्ट्रीय विचारगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन में लंदन (इंग्लैंड), काठमांडू (नेपाल), तथा शब्दवीणा की बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, गोवा, राजस्थान, गुजरात, प्रदेश समितियों के रचनाकारों ने हिन्दी के गौरवशाली अतीत, चुनौतीपूर्ण वर्तमान एवं आशाओं से भरे भविष्य पर अपने सारगर्भित विचार रखे; एवं हिन्दी के प्रति असीम सम्मान व्यक्त करतीं रचनाएँ पढ़ीं। कवयित्री कीर्ति यादव ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। शब्दवीणा की संस्थापिका एवं राष्ट्रीय अध्यक्षा डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने शब्दवीणा गीत "बजा शब्दवीणा हम करें, नये गीतों का नव्य सृजन। हिन्दी का परचम लहरायें, हिन्द देश को करें नमन" द्वारा हिन्दुस्तान और हिन्दी के हित में शब्दवीणा की संकल्पबद्धता को दुहराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लंदन, इंग्लैंड से जुड़े शब्दवीणा मध्य प्रदेश सचिव वरिष्ठ कवि अरुण अपेक्षित ने की।

श्री अपेक्षित ने हिन्दी भाषा एवं साहित्य के उद्भव, प्रसार एवं प्रकार पर सविस्तार चर्चा की। हिन्दी को विश्व की भाषा बताते हुए शब्दवीणा की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ होती पहचान पर सुमधुर स्वर में अपना मर्मस्पर्शी गीत "भावना संघर्ष की मन में प्रबल है। वह नहीं कमजोर, जिसमें आत्मबल है" समर्पित किया। काठमांडू, नेपाल से जुड़े शब्दवीणा के राष्ट्रीय उप साहित्य मंत्री, केन्द्रीय विद्यालय, काठमांडू के वरिष्ठ स्नातकोत्तर हिन्दी शिक्षक एवं विशिष्ट अतिथि डॉ आनंद कुमार त्रिपाठी ने हिन्दी और नेपाली को भगिनी भाषाएँ बताते हुए कहा कि आज पूरे विश्व में हिन्दी अपनी धाक जमाती जा रही है। मुख्य अतिथि एवं शब्दवीणा के राष्ट्रीय सचिव एवं उत्तराखंड प्रदेश संरक्षक महावीर सिंह वीर ने "हमारी मातृभाषा का बना संसार दीवाना। मगर हम हिन्द वालों ने, न इसका मोल पहचाना। सभी भाषाओं में सबसे अधिक समृद्ध है हिन्दी। ये सारे विश्व ने माना, मगर हमने नहीं माना" जैसे बेहतरीन मुक्तकों द्वारा हिन्दुस्तान में ही जानबूझकर की जा रही हिन्दी की अवहेलना पर ध्यान आकृष्ट कराया। शब्दवीणा के राष्ट्रीय परामर्शदाता पुरुषोत्तम तिवारी एवं प्रो. रामनंदन सिंह ने शब्दवीणा परिवार को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम का संचालन शब्दवीणा की राष्ट्रीय साहित्य मंत्री वंदना चौधरी ने किया। उनकी "राष्ट्रवाद के संकल्पों की अलख जगाने आयी हूँ। मैं भारत की बेटी हूँ, कर्तव्य निभाने आयी हूँ" जैसी पंक्तियों पर खूब वाहवाहियां लगीं। डॉ वेद व्यथित ने हिन्दी दिवस मनाये जाने की सार्थकता पर विचार रखे।

राष्ट्रीय विचारगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन में अरुण अपेक्षित, महावीर सिंह वीर, अभिनंदन गुप्ता, डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, वंदना चौधरी, डॉ आनंद कुमार त्रिपाठी, पंकज मिश्र, डॉ रवि प्रकाश, जैनेन्द्र कुमार मालवीय, डॉ आशा मेहर किरण, सरोज कुमार, महेश चंद्र शर्मा राज, कीर्ति यादव, मधु वशिष्ठ, जया शर्मा प्रियंवदा, अजय कुमार वैद्य, सुनीता सैनी गुड्डी, विजयेन्द्र सैनी, निगम राज़, लालबहादुर यादव कमल, दीपक कुमार, अनुराग दीक्षित, फतेहपाल सिंह सारंग, रामदेव शर्मा राही, सुमित मानधना, खेम किरण सैनी, कीर्ति यादव, विनीता सिंह, दीपक कुमार, बलवीर सिंह ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी की बढ़ती हुई लोकप्रियता एवं प्रभाव पर विचार रखे। साथ ही, हृदय को जीत लेने वाले गीत, ग़ज़ल, दोहे, मुक्तक, सवैया छंद पढ़े। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया गया, जिससे जुड़कर प्रो. सुबोध कुमार झा, प्यारचन्द कुमार मोहन, डॉ रवि प्रकाश, ललित शंकर, डॉ विजय शंकर, अनुराग सैनी मुकुंद, आशा साहनी, राम नाथ बेख़बर, हीरा लाल साव, रजनी सिन्हा सहित अनेक साहित्यानुरागियों ने रचनाकारों का अपनी टिप्पणियों द्वारा उत्साहवर्द्धन किया।

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