दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है - "हिन्दी"
लेखक जितेन्द्र कुमार सिन्हा दिव्य रश्मि के उपसम्पादक है |
भाषा मानव सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण धरोहर है। यह न केवल विचारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि इतिहास, संस्कृति, परंपरा और पहचान की संवाहक भी है। दुनिया में हजारों भाषाएँ बोली जाती हैं, लेकिन कुछ भाषाएँ अपनी व्यापकता, वक्ताओं की संख्या और सांस्कृतिक प्रभाव के कारण वैश्विक स्तर पर विशेष स्थान रखती हैं। एथ्नोलॉग की ताजा रिपोर्ट (2025) के अनुसार, अंग्रेज़ी (1.5 अरब वक्ता) और मैंडरिन चीनी (1.2 अरब वक्ता) के बाद हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है, जिसके लगभग 609.1 मिलियन वक्ता हैं।
यह उपलब्धि केवल संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि हिन्दी की उस जीवंतता और व्यापकता का प्रमाण है, जो इसे दक्षिण एशिया से लेकर विश्व के कई हिस्सों तक ले गई है। हिन्दी अब केवल भारत की भाषा नहीं, बल्कि एक वैश्विक पहचान बन चुकी है।
हिन्दी का उद्भव संस्कृत से हुआ है, जो विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक मानी जाती है। अपभ्रंश और प्राकृत भाषाओं से होते हुए हिन्दी का स्वरूप धीरे-धीरे विकसित हुआ। प्रारंभिक स्वरूप (7वीं–10वीं शताब्दी) अपभ्रंश और अवहट्ट से हिन्दी की नींव पड़ी। मध्यकाल (10वीं–17वीं शताब्दी) हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग कहा जा सकता है। इस काल में भक्तिकाल और रीतिकाल ने हिन्दी को जन-जन की भाषा बना दिया। कबीर, सूर, तुलसी और मीरा जैसी संत कवयित्रियों ने हिन्दी को धार्मिक और सामाजिक चेतना से जोड़ा। आधुनिक काल (19वीं–20वीं शताब्दी) हिन्दी का आधुनिक स्वरूप भारत की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उभरा। भारतेन्दु हरिश्चंद्र, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा और निराला जैसे लेखकों ने हिन्दी को आधुनिक संवेदनाओं और संघर्षों की आवाज बनाया। स्वतंत्रता के बाद हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया और यह धीरे-धीरे वैश्विक मंच पर भी फैलने लगी।
2025 की एथ्नोलॉग रिपोर्ट के अनुसार हिन्दी आज विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है। शीर्ष 10 भाषाएँ और उनके वक्ता (2025) अंग्रेज़ी- 1.5 अरब, मैंडरिन चीनी- 1.2 अरब, हिन्दी- 609.1 मिलियन, स्पेनिश- 558.5 मिलियन, अरबी- 334.8 मिलियन, फ्रेंच- 311.9 मिलियन, बांग्ला- 284.3 मिलियन, पुर्तगाली- 266.6 मिलियन, रूसी- 253.4 मिलियन और बहासा इंडोनेशिया- 252.4 मिलियन है। यह आंकड़े बताता है कि हिन्दी केवल भारतीय उपमहाद्वीप तक सीमित नहीं रही, बल्कि वैश्विक स्तर पर मजबूत पहचान बना चुकी है।
हिन्दी के वक्ता न केवल भारत में हैं, बल्कि विश्व के कई हिस्सों में भी यह बोली जाती है। भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में हिन्दी प्रमुख भाषा है। नेपाल में बड़ी संख्या में लोग हिन्दी समझते और बोलते हैं। मॉरीशस, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम के यहाँ प्रवासी भारतीय समुदाय ने हिन्दी को जीवित रखा है। संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और कतर के यहाँ हिन्दी प्रवासी मजदूरों और कर्मचारियों के बीच एक सामान्य भाषा है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी प्रवासी भारतीयों के माध्यम से लगातार फैल रही है।
प्रवासी भारतीयों की संख्या लगभग 3.2 करोड़ है, जिनमें से बड़ी संख्या हिन्दी भाषी है। प्रवासी समाज ने हिन्दी को न केवल जीवित रखा है बल्कि इसे नए स्वरूप भी दिए हैं। मॉरीशस में हिन्दी राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का हिस्सा है। फिजी में "फिजी हिन्दी" एक अलग बोलचाल की भाषा बन गई है। अमेरिका और यूरोप में हिन्दी शिक्षण संस्थान और सांस्कृतिक मंच तेजी से बढ़ रहे हैं।
हिन्दी साहित्य की विविधता और गहराई इसे विश्व की अन्य प्रमुख भाषाओं से अलग पहचान देती है। भक्तिकाल- तुलसीदास की रामचरितमानस, सूरदास की सूरसागर, कबीर के दोहे और मीरा के भजन आज भी लोकप्रिय हैं। आधुनिक साहित्य- प्रेमचंद की कहानियाँ और उपन्यास, महादेवी वर्मा की कविताएँ, अज्ञेय का प्रयोगवाद, नागार्जुन का जनकवि स्वरूप, यह सब हिन्दी को गहराई और विस्तार देते हैं। समकालीन साहित्य- निर्मल वर्मा, उदय प्रकाश, मन्नू भंडारी और गिरीश कर्नाड जैसे लेखकों ने हिन्दी को आधुनिक संवेदनाओं से जोड़ा है।
हिन्दी सिनेमा, जिसे हम बॉलीवुड कहते हैं, ने हिन्दी को विश्वभर में लोकप्रिय बनाया है। राज कपूर की फिल्में रूस और मध्य एशिया तक पहुँचीं। शाहरुख खान, आमिर खान और सलमान खान की फिल्मों ने अरब देशों, चीन और यूरोप में हिन्दी की पहचान बनाई। नेटफ्लिक्स और अमेज़न जैसी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर हिन्दी कंटेंट के कारण दुनिया के दर्शक हिन्दी को सुनने और समझने लगे हैं।
आज हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इंटरनेट भाषा बन चुकी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर हिन्दी कंटेंट तेजी से बढ़ रहा है। हिन्दी समाचार पत्र और वेबसाइटें दुनिया के हर कोने में पढ़ी जा रही हैं। गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियाँ हिन्दी भाषा सेवाओं पर विशेष ध्यान दे रही हैं।
भाषा केवल संवाद का माध्यम ही नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था की शक्ति भी है। हिन्दी सिनेमा, संगीत और साहित्य का वैश्विक बाजार अरबों डॉलर का है। भारत की स्टार्टअप इकॉनमी में हिन्दी भाषा आधारित एप्स और सेवाएँ तेजी से बढ़ रही हैं। हिन्दी में डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स का विस्तार भारत की आर्थिकी को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहा है।
स्वतंत्रता के बाद हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया। आज यह न केवल भारत की आधिकारिक कार्यप्रणाली का हिस्सा है, बल्कि कूटनीति में भी उपयोग हो रही है। संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाने की माँग बार-बार उठाई जाती रही है। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और मंचों पर भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हिन्दी में भाषण देते हैं।
हिन्दी के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं, अंग्रेज़ी का वैश्विक दबदबा। भारत के भीतर भाषाई राजनीति और क्षेत्रीय भाषाओं के साथ संतुलन। युवाओं में हिन्दी लेखन और पठन की घटती प्रवृत्ति।
भविष्य में हिन्दी की स्थिति और भी मजबूत होने की संभावना है। डिजिटल युग- इंटरनेट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में हिन्दी का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। शिक्षा- भारत और विदेशों के विश्वविद्यालयों में हिन्दी अध्ययन को बढ़ावा मिल रहा है। संस्कृति- बॉलीवुड और भारतीय संगीत हिन्दी को विश्व की सांस्कृतिक भाषा बना रहे हैं।
609.1 मिलियन वक्ताओं के साथ हिन्दी केवल भारत की भाषा नहीं, बल्कि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी भाषाई शक्ति है। यह भाषा हमारे इतिहास, संस्कृति और पहचान की वाहक है। हिन्दी आज केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि सॉफ्ट पावर का साधन है, जो भारत को दुनिया से जोड़ रही है। ------------
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