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संवेदनहीन पटना पुलिस

संवेदनहीन पटना पुलिस

वरिष्ट पत्रकार श्याम नाथ श्याम की खबर |
बिहार में सरकार दिव्यांग हो गई है। टोपी अब सरकार नहीं पहनती अपने मातहतों को पहना देती है ।अधिकारियों के माथे पर गमले रख दिए जाते हैं।
दिव्यांग सरकार के कार्यकाल में विधि व्यवस्था ध्वस्त है तो अपराध एवं अपराधी पर पुलिसिया नियंत्रण व्यवस्था पूरी तरह पंगु हो गया है। पुलिस अपराध एवं अपराधी के उद्भेदन के बजाय अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने की तलाश में रहती है।
क्राइम और करप्शन दिव्यांग सरकार की पहचान बनी।
प्रदेश में शराब माफिया पुलिस पर हमला कर वर्दीधारी को मौत के घाट उतार रहे हैं ।महिला दरोगा खुलेआम रिश्वत देते रंगे हाथ गिरफ्तार हो रही है ।थाना से महाजन कदमों की दूरी पर व्यवसाईयों की हत्या हो जाती है। पुलिस पर इसका कोई असर नहीं पड़ता।
बिहार पुलिस की संवेदनहीनता पराकाष्ठा पर है।
पटना पुलिस संवेदनहीनता के मामले में सबसे आगे है। वारदात के घंटों बाद भी F I R दर्ज नहीं होता ।अपराधी अपराध करके कोसों दूर निकल जाते हैं ।पुलिस सीसीटीवी खंगालने के नाम पर चैन की बंसी बजाती है। कोई अपराधी हाथ लग गया तो बड़े साहब ,(एसपी/ डी जी पी )प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वाह वाही लूटते हैं वरना फिर तो "आया राम ,गया राम ही होता है",।
पटना पुलिस (पाटलिपुत्र थाना )की संवेदनहीनता एवं बड़े साहबों की कार्यशाली की एक सच्ची घटना कुछ यू है ।मामला पत्रकार से जुड़ा है।
पटना से प्रकाशित हिंदी दैनिक प्रभात खबर के वरीय संवाददाता शशि भूषण कुंवर आज 22 अगस्त 2025 को अपने बाइक से दिन के लगभग 10:30 बजे कार्यालय जा रहे थे ।चर्चित अटल पथ के उदय चौक पर एक स्पोर्ट्स बाइक पर सवार दो लुटेरा पीछे से आए और शशि के पीठ पर धीरे से हाथ रखकर पलक झपकते हैं तिन उंगली से शशि का मोबाइल ऊपरी पपॉकेट से निकाल कर फरार हो गए। शशि ने 1:59 में फतेहपुर थाना पर मौखिक एवं बाद में लिखित जानकारी अपने साथ हुई वारदात की दी।
एक प्रमुख हिंदी दैनिक के वरिष्ठ पत्रकार के साथ बड़े मोबाइल छीने की जानकारी होते ही राजधानी के पत्रकार समुदाय में हड़कंप मच गया। राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अमर उजाला से जुड़े बिहार के पत्रकार कुमार निशांत ने 1:08 पर पटना के एस एस पी के मोबाइल नंबर 94318 22967 पर कॉल किया। एस एस पी ने मोबाइल नहीं उठाया और कॉल फॉरवर्ड कर दिया गया। फॉरवर्ड काल उठाने वाले व्यक्ति ने पहले तो यह जानना चाहा कि किस मुद्दे पर एसपी साहब से बात करनी है । घटना के बारे में बताए जाने पर पर उसने कहा कि आप थाना जाइए। एस एस पी से बात नहीं होगी। शशि भूषण का लिखित आवेदन देर शाम तक पाटलिपुत्र थाना के टेबल पर धूल फांकता रहा।
भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ के पूर्व राष्ट्रीय सचिव
एवं सीनियर क्राइम रिपोर्टर एस एन श्याम ने शाम में 5:04 और 5:07 दो बार एस एस पी महोदय से मोबाइल पर बात करना चाहा। एस एस पी ने मोबाइल नहीं उठाया। 5:06 पर दो बार कॉल करने पर पाटलिपुत्र थाना के थाना अध्यक्ष विशाल से बात हुई । इंस्पेक्टर विशाल ने कोर्ट में रहने और दिनांक 21.8.2025 को इलाके में दो भाई बहनों की हत्या की उद्वेदन में लगे रहने का बहाना बनाया ।उन्होंने आश्वासन दिया की प्रार्थमिकी दर्ज कर लेते हैं ।दर्ज कर आवेदक के मोबाइल पर भेज दिया जाएगा ।परंतु शाम 7:45 तक शशि भूषण के साथ हुई वारदात का मामला का मामला दर्ज नहीं किया गया था।
एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ दिनदहाड़े मोबाइल छीलने की वारदात हो जाती है 7 घंटे बाद तक प्रार्थना की दर्ज नहीं किया जाता है कन्नी काट लेते हैं।
इंस्पेक्टर विशाल जी क्या आप यह बताने की कृपा करेंगे की थाना अध्यक्ष के नहीं होने पर पाटलिपुत्र थाना में ताला लग गया था?आखिर O D अफसर किस लिए होता है।थाना के मुंशी एवं अन्य आफिसर क्या करते हैं? पटना पुलिस द्वारा चौक चौराहे पर लिखे गए स्लोगन" पटना पुलिस आपकी सेवा "में का यह वारदात और पुलिसकर्मियों की संवेदनहीनता की सच्चाई बयां कर रहा है।
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