भ्रष्टाचार: सड़क दुर्घटनाओं का मूल कारण और कठोर दंड की अनिवार्यता
लेखक डॉ राकेश दत्त मिश्र , सम्पादक दिव्य रश्मि |
भारत में हर साल सड़कों पर खून की नदियाँ बहती हैं। आँकड़े बताते हैं कि सड़क दुर्घटनाओं में जितनी मौतें भारत में होती हैं, उतनी मौतें किसी युद्ध या महामारी में भी शायद न हों। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं से मौतों में पहले स्थान पर है।
लेकिन असली सवाल यह है कि इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है? क्या यह केवल चालक की लापरवाही है? क्या यह केवल शराब पीकर गाड़ी चलाने का नतीजा है? या फिर कोई गहरी बीमारी है जो हमारे सिस्टम को खोखला कर रही है?
सच यह है कि सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है भ्रष्टाचार।
ताज़ा आँकड़े और रिपोर्ट
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2022 में लगभग 4.6 लाख सड़क दुर्घटनाएँ हुईं जिनमें 1.68 लाख लोगों की मौत हुई और लगभग 4 लाख लोग घायल हुए।
हर घंटे भारत में औसतन 53 सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं और 19 लोगों की मौत हो जाती है।
NCRB के अनुसार, 2021 की तुलना में 2022 में सड़क दुर्घटनाओं में 11.9% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
द इकनॉमिक टाइम्स (2023) ने रिपोर्ट किया कि भारत सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों से हर साल GDP का 3% नुकसान झेलता है।
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भ्रष्टाचार खत्म कर दिया जाए तो सड़क दुर्घटनाएँ कम से कम 50% घट सकती हैं।
सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े भ्रष्टाचार के उदाहरण
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे दुर्घटनाएँ
इस आधुनिक हाइवे को भारत का सबसे सुरक्षित बताया गया था। लेकिन यहाँ लगातार बड़े हादसे होते हैं।
जांच से सामने आया कि सड़क पर लगे रिफ्लेक्टर, चेतावनी बोर्ड और स्पीड ब्रेकर में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ। ठेकेदारों ने करोड़ों का बजट खा लिया और उपकरण निम्न गुणवत्ता के लगाए गए।
उत्तर प्रदेश में बस दुर्घटनाएँ
कई बार बसें ओवरलोड होकर पलट जाती हैं।
जांच में सामने आता है कि परिवहन विभाग के अफसरों ने रिश्वत लेकर बस मालिकों को ओवरलोडिंग करने दिया और वाहन फिटनेस प्रमाणपत्र भी पैसे लेकर जारी कर दिया।
बिहार के सासाराम और औरंगाबाद के हाईवे हादसे
अक्सर देखा जाता है कि बरसात शुरू होते ही करोड़ों खर्च से बनी सड़कें गड्ढों में बदल जाती हैं।
2023 में पटना से गया जाने वाले मार्ग पर गड्ढे के कारण ट्रक और ऑटो की भिड़ंत में कई लोग मारे गए।
जाँच में पाया गया कि सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग कर ठेकेदारों ने करोड़ों की हेराफेरी की।
दिल्ली का ऊबर-स्कूटी केस (2022)
17 वर्षीय किशोर बिना लाइसेंस गाड़ी चला रहा था और एक महिला की मौत हो गई।
जांच में सामने आया कि किशोर के पिता ने पुलिस से संपर्क कर रिश्वत देकर मामले को हल्का करने की कोशिश की।
यह दर्शाता है कि कैसे पुलिस-प्रशासन का भ्रष्टाचार निर्दोष लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करता है।
भ्रष्टाचार और सड़क दुर्घटनाओं का गहरा रिश्ता
सड़क निर्माण घोटाले
भ्रष्टाचार के कारण सड़कों की उम्र घट जाती है।
बरसात आते ही सड़कें धंस जाती हैं, जिससे वाहन असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त होते हैं।
वाहन फिटनेस घोटाले
रिश्वत लेकर 20–25 साल पुराने वाहन भी सड़क पर दौड़ते रहते हैं।
ब्रेक फेल और टायर फटने से अनगिनत दुर्घटनाएँ होती हैं।
लाइसेंस माफिया
बिना ड्राइविंग टेस्ट के लाइसेंस मिल जाता है।
नतीजा यह कि नशे में धुत, अनुभवहीन और नियम तोड़ने वाले चालक सड़क पर खुलेआम गाड़ी चलाते हैं।
ट्रैफिक पुलिस का भ्रष्टाचार
सड़क पर हेलमेट, सीट बेल्ट या दस्तावेज़ न होने पर चालान काटने की बजाय रिश्वत लेकर छोड़ दिया जाता है।
इससे लोगों में यह मानसिकता बन जाती है कि "कानून को पैसे से खरीदा जा सकता है।"
कठोर दंड की आवश्यकता
आज भ्रष्टाचार केवल आर्थिक अपराध नहीं है, यह हत्या का अपराध है। जब कोई भ्रष्ट अफसर रिश्वत लेकर घटिया सड़क पास करता है और उस पर किसी की जान जाती है, तो यह सीधे-सीधे हत्या है।
इसीलिए अब आवश्यकता है कि भ्रष्टाचारियों को ऐसे कठोर दंड दिए जाएँ, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए नज़ीर बनें।
प्रस्तावित उपाय
नार्को टेस्ट, पॉलीग्राफ और ब्रेनमैपिंग टेस्ट अनिवार्य – ताकि सच छिपाया न जा सके।
100% संपत्ति की जब्ती – ताकि भ्रष्ट व्यक्ति और उसका परिवार दोनों सबक सीखें।
नागरिकता खत्म करना – क्योंकि जिसने जनता के साथ विश्वासघात किया, उसे नागरिकता का अधिकार नहीं।
1 वर्ष के भीतर फांसी की सजा – ताकि न्याय त्वरित और प्रभावी हो।
अंतरराष्ट्रीय उदाहरण
चीन: बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के मामलों में मौत की सजा दी जाती है।
सिंगापुर: यहाँ भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है। इसीलिए यह दुनिया के सबसे सुरक्षित और व्यवस्थित देशों में गिना जाता है।
दुबई: कठोर कानूनों के कारण भ्रष्टाचार लगभग नगण्य है।
भारत में यदि ऐसा कानून लागू हो तो सड़क दुर्घटनाओं का आँकड़ा तेजी से नीचे आ सकता है।
निष्कर्ष
आज भारत जिस मोड़ पर खड़ा है, वहाँ सबसे बड़ा खतरा सड़क पर नहीं, बल्कि उस भ्रष्टाचार की जड़ों में है जिसने हमारी सड़क व्यवस्था को खोखला कर दिया है।
हर सड़क दुर्घटना के पीछे केवल चालक नहीं, बल्कि वह भ्रष्ट सिस्टम खड़ा है जिसने रिश्वत लेकर कानून को कमजोर किया है।
इसलिए अब समय आ गया है कि—
भ्रष्टाचारियों का नार्को टेस्ट और ब्रेनमैपिंग अनिवार्य हो।
उनकी 100% संपत्ति जब्त की जाए।
उनकी नागरिकता समाप्त कर दी जाए।
और उन्हें 1 वर्ष के भीतर मृत्युदंड दिया जाए।
यही एकमात्र रास्ता है जिससे भारत की सड़कों पर खून की जगह मुस्कान बहेगी और आने वाली पीढ़ियाँ सुरक्षित रहेंगी।
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