हम बानीं नेता बिहार के
हम बानीं नेता रउआ बिहार के ,काहे देखत बानीं अईसे निहारके ।
निर्धनता से परे हो जाओ बिहार ,
आईं आकर्षक बनाईं निखार के ।।
अबहीं अबगे आईल बाटे जवानी ,
काहे बईठत बानी रउआ हार के ।
आईं मिलजुल बढ़ल जाओ आगे ,
सामने के समस्या के लसार के ।।
आईं चलीं हमनी मिला के हाथ ,
आई दिन हमनियो के बहार के ।
मत हार थाक के उदास होखीं ,
मत बईठीं आपन मनवा मारके।।
लड़िका आपन सुशिक्षित होईहें ,
उद्योग बईठईहें खूब व्यापार के ।
बिहारी पलायन तब जाके रोकी ,
जीवन ना मिल पाई मजधार के।।
आजुओ कम नईखे ई केहू से ,
बिहारिए अधिक अफसर बनेला।
कोई जे रहल कम पढ़ल लिखल ,
ओकरे पर सब कोईए तनेला ।।
लड़िकन स से हमर बाटे निहोरा ,
मन लगा पढ़ लिख बनीं सुयोग ।
रउए पर बिहार के भविष्य निर्भर,
दूर करे के बाटे बिहार के दुर्योग।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार
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