"चतुर प्रहरी"
अति प्राचीन काल की बात है। भावनानगर में भवदीप नाम के राजा का शासन था। अपनी बुद्धिमता एवं न्यायप्रियता के लिए वे लोकप्रिय थे। उनकी दानशीलता एवं न्यायप्रियता के कारण ही प्रजा उन्हें भगवान की तरह पूजती थी। राजदरबार की कार्यवाही प्रतिदिन दो चरणों में सम्पन्न होती थी। प्रथम चरण में राजा अपनी समस्याओं को राज्य के उच्चाधिकारियों एवं मंत्रियों के समक्ष रखते थे और उसके समाधान पर विचार विमर्श करते थे। भोजनावकाश के बाद जब दूसरी बार राजदरबार की कार्यवाही शुरू होती थी तब प्रजा अपनी समस्याओं को राजा के समक्ष रखते थे और राजा उनकी समस्याओं का निदान करते थे। दरबार की कार्यवाही समाप्त होने से पूर्व राजा रात्रि के सुरक्षा प्रहरी से दो सवाल करते थे और सही जबाव के अभाव में रोज प्रहरी को बदल देते थे। राजा का प्रश्न होता था- "क्या रात्रि तुमने पहरा दिया ? यदि पहरा दिया तो फिर क्या देखा और क्या सुना?"
उसी राज्य में सोमदत्त नामक एक दरिद्र ब्राह्मण रहता था। अपनी दरिद्रता से तंग आकर वह राजदरबार पहुंचा और राजा को अपनी समस्या बतायी । राजा ने उसे रात्रि सुरक्षा प्रहरी की नौकरी दे दी। साथ ही उन्होंने अपनी शर्त भी सुना दी कि यदि अगले दिन मेरे प्रश्नों का सही उत्तर नहीं दोगे तो नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। ब्राह्मण ने कहा , "महाराज, मैं पूरी निष्ठा से अपने काम को अंजाम दूंगा। "
रात्रि होने पर सोमदत्त अपनी ड्यूटी पर आ गया। वह सोंचने लगा कि आखिर क्या बात है जो राजा प्रतिदिन प्रहरी बदल देते हैं। वह इसी उधेड़बुन में था कि सहसा किसी की आहट सुनकर चौंक पड़ा। उसे राजमहल के पिछवाड़े खड़खड़ाहट की आवाज सुनाई दी। जब वह पिछवाड़े पहुंचा तो देखा कि राजा वेश बदलकर डोमों की बस्ती की तरफ जा रहे हैं। यह देख उसकी उत्सुकता बढ़ गयी और बड़ी सतर्कता से वह राजा का पीछा करने लगा। राजा एक डोम के घर के पास रुककर देखने लगे कि कहीं कोई उनका पीछा तो नहीं कर रहा है, लेकिन जब वे आश्वस्त हो गए कि कोई नहीं है तो वे डोम के घर में प्रवेश कर गए। सोमदत्त राजा की इस हरकत पर चकित रह गया। उसकी उत्सुकता और बढ़ गई कि आखिर राजा डोम के घर क्यों गए। यह सोंच वह डोम के घर के पिछवाड़े जाकर छिप गया और राजा की बातें सुनने की कोशिश करने लगा।
राजा को डोम की पत्नी से प्रेम हो गया था इसलिए रात्रि को वेश बदलकर उससे मिलने आते थे। सवेरा होने से पूर्व ही वे वापस महल लौट जाते थे। यही कारण था कि प्रजा इनके दूसरे रूप को नहीं देख पाती थी और आँख मूंदकर राजा को भगवान मानती थी।
राजा जब डोम के घर में प्रवेश किए तो डोम की पत्नी को इंतजार करते पाया। इधर-उधर की बातें करने के उपरांत राजा ने कुछ खाने की इच्छा जाहिर की। डोम की पत्नी बोली कि इस समय तो मात्र बच्चों का जूठन ही बचा हुआ है। राजा को जोरों की भूख लगी थी इसलिए वे जूठन खाने को भी तैयार हो गए। खाना खाने के बाद उन्हें जोरों की प्यास लगी तो उन्होंने डोम की पत्नी से पानी माँगा। डोम की पत्नी बोली कि इतनी रात को कुएँ पर पानी लाने जाऊँगी तो किसी की भी नजर पड़ सकती है। वह फिर बोली कि बगल में एक धोबी रोज नाद में पानी भरकर रखता है। कहिए तो वह पानी लाकर दूँ। राजा को तीव्र प्यास लगी थी इसलिए उन्होंने पानी लाने को कहा। पानी पीने के उपरांत राजा को नींद सताने लगी। उन्होंने डोम की पत्नी से सोने की इच्छा जाहिर की। वह बोली कि यहाँ तो सोने के लिए पलंग नहीं मिलेगा। यहाँ तो मुर्दा (लाश) का खाट मिलेगा। नींद के आक्रमण से त्रस्त राजा बोले कि ठीक है मैं इसी पर सो जाऊँगा लेकिन तुम सवेरा होने से पहले उठा देना। इतना कहकर वे निद्रा के आगोश में कैद हो गए।
सवेरा होने से पहले ही राजा अपने महल में पहुँच गए। सोमदत्त भी अपनी ड्यूटी पर तैनात हो गया। प्रतिदिन की भाँति उस दिन भी राजदरबार की कार्यवाही सम्पन्न हुई। सबसे अंत में राजा ने सोमदत्त से सवाल किया- क्या तुमने रात्रि में पहरा दिया?? सोमदत्त ने जबाव दिया , "जी हाँ महाराज, रात्रि मैंने
बड़ी मुस्तैदी से पहरा दिया।"
राजा ने पुनः दूसरा सवाल किया - तुमने रात्रि को क्या देखा और क्या सुना?' सोमदत्त ने बड़ी चतुराई से रात्रि की घटना को इस प्रकार सुनाई :-
" प्रेम ना जाने जात-पात,
भूख ना माने जूठा भात ।
प्यास ना माने धोबी घाट,
नींद ना माने मुर्दा खाट ।"
सोमदत्त की सूझबूझ भरी बातें सुनकर राजा आश्चर्य चकित रह गया। उसने बड़ी चतुराई से राजा को बेनकाब होने से बचा लिया। इस बात से प्रसन्न होकर राजा ने उसे अपने राज्य का महामंत्री बना दिया ।
➡️ सुरेन्द्र कुमार रंजन
(स्वरचित एवं अप्रकाशित लघुकथा)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com