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जानलेवा हो सकती है लीवर सिरोसिस

जानलेवा हो सकती है लीवर सिरोसिस

समय रहते इलाज न हो तो मृत्यु तय

– संवाददाता : सुरेन्द्र कुमार रंजन

“अगर लीवर स्वस्थ है तो शरीर मजबूत है, लेकिन अगर लीवर बीमार है तो जीवन खतरे में है।”

मानव शरीर कई अवयवों एवं तत्त्वों के संयोग से निर्मित है, जिसमें प्रत्येक अंग का अपना विशेष महत्व है। परंतु कुछ अंग ऐसे होते हैं, जिनमें थोड़ा-सा भी विकार समूचे शरीर को प्रभावित कर देता है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण अंग है यकृत (लीवर) – जो एक साथ ग्रंथि और अंग दोनों है, और शरीर की जैविक प्रक्रियाओं का केंद्र है।

लीवर: शरीर का चमत्कारी संयंत्र

यकृत शरीर में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण कार्य करता है:

  • रक्त को शुद्ध करना

  • पित्त (बाइल) का निर्माण, जो पाचन में सहायक है

  • वसा एवं शर्करा का ऊर्जा में रूपांतरण

  • प्रोटीन, विटामिन, खनिजों का संचयन

  • हार्मोन का संतुलन और तापमान नियंत्रण

  • ग्लाइकोजन का भंडारण

  • थक्के बनाने वाले प्रोथॉम्बिन का निर्माण

लीवर का यह कार्यभार इतना महत्वपूर्ण है कि इनमें से किसी एक प्रक्रिया में भी व्यवधान आने पर व्यक्ति गंभीर बीमारी का शिकार हो सकता है।

क्या है लीवर सिरोसिस?

लीवर सिरोसिस एक गंभीर एवं जटिल रोग है, जिसमें यकृत की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होकर मृत हो जाती हैं और उनकी जगह फाइब्रस ऊतक विकसित हो जाता है। इससे लीवर सिकुड़ने लगता है और उसका सामान्य आकार एवं क्रियाशीलता नष्ट हो जाती है। यह स्थिति स्थायी हो सकती है, और यदि समय पर इलाज न हो तो मृत्यु तक की संभावना रहती है।


प्रमुख लक्षण: कब सतर्क हों?

लीवर सिरोसिस के प्रारंभिक लक्षण अक्सर सामने नहीं आते, लेकिन जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, लक्षण स्पष्ट होते जाते हैं:

  • अत्यधिक थकान और कमजोरी

  • पेट में दर्द एवं सूजन

  • आंखों व त्वचा में पीलापन (पीलिया)

  • पैरों और टखनों में सूजन

  • पेट में द्रव भर जाना (जलोदर)

  • भूख न लगना, उल्टी आना

  • मल-मूत्र का रंग गहरा पीला

  • वजन में गिरावट और मानसिक भ्रम की स्थिति

  • नाखून और हथेलियों का रंग बदलना

चेतावनी: ऐसे लक्षण दिखने पर अविलंब विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।


लीवर सिरोसिस के प्रमुख कारण

  1. अत्यधिक शराब सेवन

  2. धूम्रपान एवं नशीले पदार्थों का सेवन

  3. हेपेटाइटिस B और C संक्रमण

  4. फैटी लीवर डिजीज (NAFLD)

  5. ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस

  6. विल्सन डिजीज एवं हेमोक्रोमैटोसिस

  7. दूषित जल व भोजन का सेवन

  8. फास्ट फूड, जंक फूड, एवं डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन


लीवर सिरोसिस की पुष्टि हेतु आवश्यक जांचें

डॉ. धीरज कुमार (संस्थापक, InCure Clinic, कंकड़बाग, पटना) बताते हैं कि सिरोसिस की सटीक पुष्टि के लिए निम्न जांच आवश्यक हैं:

  • फाइब्रो स्कैन (Fibroscan)

  • लीवर फंक्शन टेस्ट (LFT)

  • सीरम बिलरुबिन जांच

  • HBsAg और Anti-HCV टेस्ट

  • अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई

  • लीवर बायोप्सी – गंभीर स्थिति की पुष्टि के लिए


उपचार और बचाव

Compensated सिरोसिस

इस अवस्था में यकृत पर निशान होते हैं, पर वह कार्यशील रहता है। दवाइयों और जीवनशैली में सुधार से नियंत्रण संभव है।

Decompensated सिरोसिस

यह अवस्था गंभीर होती है, जहां यकृत की कार्यक्षमता लगभग समाप्त हो जाती है।

🏥 स्थायी इलाज:

  • यकृत प्रत्यारोपण (Liver Transplant) – अंतिम और प्रभावी विकल्प

  • डाययूरेटिक दवाएं – शरीर से अतिरिक्त द्रव निकालने हेतु

  • सख्त परहेज

    • नमक का सेवन कम करें

    • शराब, धूम्रपान पूरी तरह बंद करें

    • जंक फूड, तली चीजें न लें

    • स्वच्छ और पौष्टिक आहार लें

    • नियमित योग एवं व्यायाम करें


चिकित्सकीय सलाह: डॉ. धीरज कुमार की राय

  1. लक्षण दिखते ही विशेषज्ञ से संपर्क करें – समय पर निदान से जान बचाई जा सकती है।

  2. फैटी लीवर को हल्के में न लें – आवश्यक स्कैन और जांच अवश्य करवाएं।

  3. हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी से सतर्क रहें – यह सिरोसिस का गंभीर परिणाम है, जिसमें मस्तिष्क भी प्रभावित होता है।

  4. लीवर ट्रांसप्लांट में देर न करें – पूरी प्रक्रिया में 6 माह लग सकते हैं। देर करने पर सफलता की संभावना कम होती है।


डॉ. धीरज कुमार: एक परिचय

शिक्षा एवं उपलब्धियां विवरण
प्रारंभिक शिक्षा जे एन बी विद्यालय, राजगीर
इंटरमीडिएट बाल विद्या निकेतन, जहानाबाद
MBBS दरभंगा मेडिकल कॉलेज, 2014
MD (Internal Medicine) पटना मेडिकल कॉलेज, 2018
DM (Gastroenterology) IGIMS, पटना
MRCP (Gastroenterology) ब्रिटेन
विशिष्ट सदस्यता ISG, ACG, BSG, API
पुरस्कार 2024 में बिहार सरकार द्वारा "बेस्ट गैस्ट्रोलॉजिस्ट ऑफ बिहार" सम्मान

निष्कर्ष

लीवर सिरोसिस एक गंभीर लेकिन रोके जा सकने वाला रोग है। जागरूकता, समय पर निदान, चिकित्सकीय परामर्श और अनुशासित जीवनशैली द्वारा इसे नियंत्रण में लाया जा सकता है। यदि सही समय पर जांच और इलाज न हो, तो यह जानलेवा सिद्ध हो सकता है।

याद रखें:

“स्वस्थ लीवर, सुखद जीवन।”
“पेट का रोग, शरीर के हर कोने को कर सकता है प्रभावित।”


यदि आप या आपके किसी परिचित को लीवर से संबंधित कोई परेशानी है, तो विलंब न करें – विशेषज्ञ चिकित्सक से मिलें और जीवन को नया अवसर दें।


लेखक: सुरेन्द्र कुमार रंजन
स्थान: CC-90, P.C. Colony, कंकड़बाग, पटना
स्रोत: साक्षात्कार – डॉ. धीरज कुमार, InCure Clinic


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