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संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली सरकार जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से चलती हैः नंद किशोर यादव

संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली सरकार जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से चलती हैः नंद किशोर यादव

  • आर्थिक विकास और संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली देश की प्रगति और स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण स्तंभः नरेन्द्र पाठक
पटना, 02 अगस्त। आज जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना के निदेशक नरेंद्र पाठक की नव प्रकाशित पुस्तक “आर्थिक विकास और संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली” का लोकार्पण कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर अतिथियों ने शुभारंभ किया।
बिहार विधानसभा अध्यक्ष श्री नंद किशोर यादव ने कहा- संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था है जिसमें सरकार जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से चलती है और कार्यपालिका (सरकार) विधायिका (संसद) को उत्तरदायी होती है। जबकि जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के निदेशक सह पुस्तक के लेखक डॉ0 नरेंद्र पाठक ने पुस्तक के विषय वस्तु पर अपने वक्तव्य में कहा कि यह एक शोध का कार्य है। इसमें हमने लंबे समय से अध्ययन करने के उपरांत इसे पुस्तक के रुप आपके समक्ष प्रस्तुत किया है। साथ ही संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली यदि मजबूत और पारदर्शी हो, तो वह आर्थिक विकास को गति देती है। दूसरी ओर, आर्थिक समृद्धि लोकतांत्रिक संस्थाओं को और अधिक सुदृढ़ बनाती है। दोनों मिलकर नागरिकों को बेहतर जीवन, स्वतंत्रता, और समान अवसर प्रदान करती है।
“आर्थिक विकास और संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली” विषय पर अपने संबोधन में अमिटी विश्वविद्यालय की प्रो. कामना तिवारी ने कहा- आर्थिक विकास और संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली दोनों ही किसी देश की प्रगति और स्थायित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। ये दोनों विषय एक-दूसरे से जुड़े हुए भी हैं, क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था आर्थिक विकास को प्रभावित करती है और आर्थिक प्रगति से लोकतंत्र की गुणवत्ता भी सुधरती है।
चाणक्य नेशनल विधि विश्विद्यालय के रजिस्ट्रार-सह-डीन प्रो. एस.पी. सिंह ने कहा कि वर्तमान परिवेश में ऐसे विषयों पर काम करना बहुत बड़ी जिम्मेदारी का काम है। आने वाली पीढ़ी भी इस पर शोध करे और उसके लिए इस पुस्तक का अध्ययन बहुत जरूरी है।
पुस्तक लोकार्पण-सह-परिचर्चा में पटना विश्वविद्यालय प्रो. मनोज प्रभाकर ने अपने संबोधन में कहा-यह पुस्तक न केवल हमारे लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था के आपसी संबंधों को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे एक सशक्त लोकतंत्र, एक समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास की नींव रख सकता है। लेखक ने आंकड़ों, ऐतिहासिक संदर्भों और समकालीन उदाहरणों के माध्यम से यह दर्शाया है कि संसदीय प्रणाली केवल सत्ता परिवर्तन का माध्यम नहीं, बल्कि आर्थिक न्याय और सामाजिक समरसता की दिशा में एक मार्गदर्शक शक्ति भी है।
लोकार्पण सह परिचर्चा कार्यक्रम में आए अतिथियों का स्वागत प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. पीयूष कुमार ने किया। साथ ही इन्होंने अतिथियों को पुस्तक संच देकर सम्मानित किया। जबकि इस कार्यक्रम का संचालन लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के निदेशक नरेन्द्र पाठक ने किया।
इस अवसर पर संजय चतुर्वेदी, अजय मिश्रा, इंदिरा रमण उपाध्याय, विनय कुमार, प्रो. ध्रवु कुमार, मीरा तिवारी, गौरव सिंह, संजय यादव, विक्रम सिंह, प्रवीण पाल, सुमेधा सहाय, डॉ. एम. भारती, बबीता सिन्हा सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
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