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दिव्य कला मेला 2025 : पटना में दिव्यांगजनों की प्रतिभा और आत्मनिर्भरता का भव्य प्रदर्शन

दिव्य कला मेला 2025 : पटना में दिव्यांगजनों की प्रतिभा और आत्मनिर्भरता का भव्य प्रदर्शन

पटना, 31 अगस्त 2025 —
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित "दिव्य कला मेला" का पटना के गांधी मैदान में सफल समापन हुआ। 23 अगस्त से 31 अगस्त तक आयोजित यह 9 दिवसीय मेला दिव्यांगजनों के हुनर, उत्पादों और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बना।

मेले के समापन समारोह में माननीय विधायक विनय बिहारी, विशेष कार्य पदाधिकारी अंजलि शर्मा, तथा सीआरसी पटना की निदेशक प्रियदर्शनी गरिमामयी रूप से उपस्थित रहीं। इस अवसर पर NDFDC के सहायक महाप्रबंधक मनोज कुमार साहू ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया।
मेले की खास झलकियाँ

देश के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आए लगभग 100 दिव्यांग उद्यमियों, कलाकारों और कारीगरों ने हस्तशिल्प, हथकरघा, कढ़ाई और अन्य उत्पादों का प्रदर्शन किया।

मेले में लगभग 30 लाख रुपये की बिक्री दर्ज की गई, जो दिव्यांगजनों की आर्थिक सशक्तिकरण यात्रा की एक बड़ी उपलब्धि है।

दिव्यांगजनों के लिए विशेष रोजगार मेला आयोजित किया गया, जिसमें 153 युवाओं ने भाग लिया और 43 का चयन हुआ।

ALIMCO स्टॉल पर दिव्यांग सहायक उपकरणों के लिए पंजीकरण किया गया।

निडर फाउंडेशन ने स्वरोजगार, गेम पोर्टल, कौशल उद्यमिता एवं उद्यम रजिस्ट्रेशन संबंधी जानकारी दी।

मेले के दौरान CRC पटना द्वारा 25 से 27 अगस्त तक CRE प्रोग्राम आयोजित किए गए।

CCPD नई दिल्ली और राज्य दिव्यांग आयुक्त, बिहार की उपस्थिति में विशेष अदालत लगाई गई और दिव्यांगजनों की शिकायतों पर सुनवाई हुई।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में "दिव्या कला शक्ति" का आयोजन आकर्षण का केंद्र रहा, जिसमें पटना के 80 दिव्यांग कलाकारों ने अपनी कला से समा बाँधा।
खेल और कार्यशालाएँ

मेले के दौरान दिव्यांग खेलों का अनूठा प्रदर्शन किया गया जिसमें बोक्सिया, ब्लाइंड क्रिकेट और अन्य विशेष खेल शामिल थे। साथ ही कई कार्यशालाएँ भी आयोजित हुईं—

पैरा एथलेटिक/कोच के लिए संवेदीकरण कार्यशाला

ब्रेल का परिचय

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार से पीड़ित बच्चों के संवेदी मुद्दों का प्रबंधन

दिव्यांगजनों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम
भोजन और मनोरंजन का संगम

मेले में आए दर्शकों ने विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लिया। बच्चों के लिए खेल क्षेत्र भी आकर्षण का बड़ा केंद्र रहा।


पटना में आयोजित यह 26वाँ दिव्य कला मेला न केवल दिव्यांगजनों की प्रतिभा और आत्मनिर्भरता का मंच साबित हुआ, बल्कि समाज के लिए यह संदेश भी लेकर आया कि अवसर और प्रोत्साहन मिलने पर दिव्यांगजन अपनी कला और कौशल से आर्थिक एवं सामाजिक बदलाव ला सकते हैं।
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