गुरु पूर्णिमा पर बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में हुआ भव्य आयोजन

राजाबाजार, पटना | 10 जुलाई 2025
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ, राजाबाजार, पटना में एक भव्य सांस्कृतिक-साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यापीठ के प्राचार्य जगत नारायण शर्मा ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में प्रतिष्ठित अधिवक्ता कृष्ण बल्लभ शर्मा ने अपनी सारगर्भित वक्तव्य से सभी को भावविभोर कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके पश्चात विद्यापीठ के विद्यार्थियों ने गुरुवंदना प्रस्तुत की, जिसने उपस्थित सभी अतिथियों एवं श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

मुख्य वक्ता कृष्ण बल्लभ शर्मा ने अपने संबोधन में गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, "गुरु पूर्णिमा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यह वह दिन है जब हम अपने ज्ञानदाता, अपने पथप्रदर्शक को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। आज की पीढ़ी को केवल शैक्षणिक नहीं, नैतिक और आध्यात्मिक गुरुओं की भी आवश्यकता है।"
उन्होंने आगे कहा कि आज गुरुओं की भूमिका केवल शिक्षा तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि वे समाज के निर्माण में भी निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इस अवसर पर राखी पर्व की भी चर्चा की और कहा कि रक्षाबंधन और गुरु पूर्णिमा, दोनों ही भारतीय संस्कृति में विश्वास, समर्पण और आत्मिक संबंधों के प्रतीक हैं।
विद्यापीठ के प्राचार्य जगत नारायण शर्मा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा, "बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय मूल्यों, परंपराओं और सांस्कृतिक चेतना का भी संवाहक है। गुरु पूर्णिमा के इस अवसर पर हमें अपने गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।"
कार्यक्रम में विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम—गुरु वंदना, भजन, एवं शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति—ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। कई पूर्व छात्रों ने भी अपने अनुभव साझा करते हुए विद्यापीठ के गुरुओं के योगदान को याद किया।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ अध्यापक प्रो. राम नरेश सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विद्यापीठ के वरिष्ठ सदस्य डॉ. अजय कुमार ने प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में स्थानीय नागरिक, अभिभावक, विद्वान, अधिवक्ता समुदाय एवं मीडिया प्रतिनिधियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल एक पर्व विशेष की औपचारिकता थी, बल्कि यह एक वैचारिक चेतना का संचार था जो गुरुओं के आदर्शों को जीवन में उतारने का संदेश देता रहा।
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