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प्रेम, सौभाग्य और प्रकृति के सामंजस्य का प्रतीक है हरियाली तीज

प्रेम, सौभाग्य और प्रकृति के सामंजस्य का प्रतीक है हरियाली तीज

सत्येन्द्र कुमार पाठक
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया विभिन्न आयामों से युक्त हरियाली तीज है । हरियाली तीज मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की खुशी में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। उन्होंने अन्न और जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किए थे। उनकी इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने श्रावण मास की तृतीया तिथि को ही उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस दिन को उनके पवित्र मिलन और अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है। विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए इस व्रत को रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएँ मनचाहा वर पाने की कामना से व्रत करती हैं। यह पर्व पतिव्रता धर्म की प्रेरणा देता है और वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाता है।
हरियाली तीज केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ही नहीं रखती, बल्कि इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक और तार्किक पहलू भी हैं: शारीरिक और मानसिक शुद्धि: निर्जला व्रत रखने से शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्ति मिलती है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। यह एक प्रकार का डिटॉक्सिफिकेशन है। इसके साथ ही, व्रत और पूजा में ध्यान लगाने से मन को शांति मिलती है और मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। चंद्रमा और मन का संबंध: श्रावण मास की शुक्ल तृतीया को जब हरियाली तीज मनाई जाती है, तब चंद्रमा अपने उज्ज्वल पक्ष में होता है। इस समय मानसिक ऊर्जा अत्यंत सक्रिय रहती है, जिससे मन अधिक चंचल और संवेदनशील हो सकता है। व्रत और आत्म-संयम का अभ्यास मन को नियंत्रित करने और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है। मौसम से सामंजस्य: सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है, जब चारों ओर हरियाली छा जाती है। प्रकृति की इस हरी-भरी ऊर्जा को अपने भीतर आत्मसात करना एक वैज्ञानिक पहलू है। हरा रंग आँखों को ठंडक प्रदान करता है और मन को शांत रखता है। इस दौरान पहनी जाने वाली हरी चूड़ियाँ और वस्त्र प्रकृति के साथ जुड़ाव का प्रतीक हैं। सोलह श्रृंगार का महत्व: हरियाली तीज पर स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। उदाहरण के लिए: सिंदूर: लाल सिंदूर महिला के सहस्त्र चक्र को सक्रिय रखता है और शरीर के तापमान को भी ठंडा रखता है, जिससे चित्त शांत रहता है।बिंदी: बिंदी आज्ञा चक्र को सक्रिय करती है।काजल: काजल आँखों को बुरी शक्तियों से बचाता है और आँखों के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।नथ: नाक में छेद करने से मासिक धर्म में राहत मिलती है और यह एक्यूप्रेशर का काम करता है।झुमके: इयरलोब पर विशेष बिंदु होते हैं, जिन पर दबाव डालने से माहवारी, किडनी और ब्लैडर के रोगों से राहत मिल सकती है।मेहंदी: मेहंदी की शीतल तासीर शरीर को ठंडक देती है, विशेषकर गर्म और उमस भरे मौसम है।
पारिवारिक संबंधों को मजबूत करना: 'सिंजारा' की परंपरा, जिसमें मायके से बेटी और दामाद के लिए उपहार और मिष्ठान आते हैं, परिवारों के बीच प्यार और जुड़ाव को बढ़ाती है। यह रिश्तों में मिठास घोलता है और दोनों परिवारों को जोड़े रखने का कार्य करता है। महिलाओं की एकता और सशक्तिकरण: यह त्योहार महिलाओं को एक साथ आने, गीत गाने, नाचने और खुशियाँ साझा करने का अवसर प्रदान करता है। सामूहिक रूप से पूजा-पाठ और उत्सव मनाने से महिलाओं में एकता और आत्म-सम्मान की भावना बढ़ती है। कला और संस्कृति का संरक्षण: तीज के अवसर पर आयोजित होने वाले मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम, जिनमें भजन-कीर्तन, नृत्य, मेहंदी प्रतियोगिताएँ और पारंपरिक वेशभूषा की प्रदर्शनियाँ शामिल होती हैं, स्थानीय हस्तशिल्प, वस्त्र और गहनों की बिक्री को बढ़ावा देते हैं। ये आयोजन न केवल सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करते हैं। सामुदायिक सौहार्द: ग्रामीण और शहरी दोनों ही अंचलों में सामूहिक रूप से तीज का आयोजन होता है, जिससे समाज में सौहार्द और एकजुटता बढ़ती है। प्रकृति से जुड़ाव: यह पर्व प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करता है। सावन की हरियाली और वर्षा को उत्सव के रूप में मनाना भारतीय संस्कृति की पर्यावरण-संवेदनशीलता को दर्शाता है। परंपराओं का निर्वहन: यह त्योहार सदियों से चली आ रही परंपराओं, जैसे सोलह श्रृंगार, मेहंदी लगाना, झूले झूलना और लोकगीत गाना, को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाता है। यह सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में मदद करता है। स्त्री-सौभाग्य का प्रतीक: हरियाली तीज सुहागिन स्त्रियों के अखंड सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। यह व्रत और अनुष्ठान महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखते हैं और उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं। लोक कला और संगीत का मंच: तीज के गीत, नृत्य और पारंपरिक वेशभूषा इस त्योहार को जीवंत बनाते हैं। यह लोक कलाओं और संगीत को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण मंच है। हरियाली तीज एक ऐसा त्योहार है जो धार्मिक आस्था, वैज्ञानिक सिद्धांतों, सामाजिक ताने-बाने और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम है। यह उत्सव केवल व्रत और पूजा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन में प्रेम, खुशी और समृद्धि लाने का एक समग्र अनुभव है।

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