डॉक्टर , चिकित्सक , वैद्य
श्रम छोड़े तो योग किए ,योग छोड़े तो भए रोग ।
रोग से तन हो गए क्षीण ,
असाध्य रोग रहे भोग ।।
भोजन में स्वाद चाहिए ,
तेल मसाले हैं उपयोग ।
मधु भोजन ये पाक संग ,
रोग का बनाते संयोग ।।
खाना में फास्ट फूड हो ,
तन हेतु माॅंगते आराम ।
जब आया तन आलस
तन स्वास्थ्य है हराम ।।
आयु भी ये क्षीण हुआ ,
आयु हुआ है अल्पायु ।
रोग से तन हुआ दुर्बल ,
अस्वस्थ हुआ दीर्घायु ।।
गए चिकित्सक शरण ,
जब तन दिया ये पीर ।
चिकित्सक लिए सुधी ,
प्रथम बॅंधा दिए धीर ।।
किए चिकित्सा हमारा ,
हमें किए तन से निरोग ।
मन हमारा हर्षित हुआ ,
सुख का किए उपभोग ।।
ऊपर ईश्वर भगवान है ,
नीचे चिकित्सक महान ।
निज महानता कारण ,
चिकित्सक हैं भगवान ।।
चिकित्सक जीवन प्रात ,
चिकित्सक बिन ये शाम ।
चिकित्सक डॉक्टर वैद्य ,
सबको कोटिश: प्रणाम ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag


0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com