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डॉक्टर , चिकित्सक , वैद्य

डॉक्टर , चिकित्सक , वैद्य

श्रम छोड़े तो योग किए ,
योग छोड़े तो भए रोग ।
रोग से तन हो गए क्षीण ,
असाध्य रोग रहे भोग ।।
भोजन में स्वाद चाहिए ,
तेल मसाले हैं उपयोग ।
मधु भोजन ये पाक संग ,
रोग का बनाते संयोग ।।
खाना में फास्ट फूड हो ,
तन हेतु माॅंगते आराम ।
जब आया तन आलस
तन स्वास्थ्य है हराम ।।
आयु भी ये क्षीण हुआ ,
आयु हुआ है अल्पायु ।
रोग से तन हुआ दुर्बल ,
अस्वस्थ हुआ दीर्घायु ।।
गए चिकित्सक शरण ,
जब तन दिया ये पीर ।
चिकित्सक लिए सुधी ,
प्रथम बॅंधा दिए धीर ।।
किए चिकित्सा हमारा ,
हमें किए तन से निरोग ।
मन हमारा हर्षित हुआ ,
सुख का किए उपभोग ।।
ऊपर ईश्वर भगवान है ,
नीचे चिकित्सक महान ।
निज महानता कारण ,
चिकित्सक हैं भगवान ।।
चिकित्सक जीवन प्रात ,
चिकित्सक बिन ये शाम ।
चिकित्सक डॉक्टर वैद्य ,
सबको कोटिश: प्रणाम ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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