ज्वालामुखी योग के दुष्प्रभाव से सावधानी बरतें
हर हर महादेव!!
अहमदाबाद की हवाई दुर्घटना ने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है।दुर्घटना में मारे गए सभी दिवंगत आत्माओं के लिए महेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन दिवंगत आत्माओं को अपने चरणों में स्थान दें।
इस समय वर्तमान समय में गोचर में ज्वालामुखी योग और पिशाच योग चल रहा है। जिसके कारण यह दुर्घटना हुई है। 7 जून 2025 से यह योग आरंभ हुआ था। 28 जुलाई 2025 तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी। अपना और अपने स्वजनों का, परिजनों का बहुत ध्यान रखें। घर के बड़े बुजुर्गों के लिए भी यह समय शुभ नहीं है। जहां तक संभव हो लंबी दूरी की यात्रा करने से बचें। किसी भी तरह की जोखिम ना लें।
महादेव की, मां जगदंबा की, मां गायत्री की और श्री हनुमान जी की पूजा अर्चना करते रहें। 28 जुलाई तक बेहद सावधान रहें। 28 जुलाई तक इस तरह की और भी घटनाएं होने की संभावना बन रही है।
सर्वप्रथम यह जानते हैं की ज्वालामुखी योग क्या होता है? गोचर में मंगल और राहु की युति जब बनती है तो उसे अंगारक योग कहा जाता है। इसी प्रकार शनि और राहु की युति से पिशाच योग बनता है। मंगल और केतु की युति से पिशाच योग और ज्वालामुखी योग का निर्माण होता है। राहु को शनिवत कहा जाता है। जबकि केतु को कुजवत अर्थात मंगल के समान कहा जाता है। केतु जिस ग्रह के साथ बैठ जाए उसकी शक्ति पांच गुना अधिक बढ़ा देता है। राहु जिस ग्रह के साथ बैठ जाए। उसके अंदर नकारात्मक ऊर्जा का भंडार भर देता है। शनि को सर्वाधिक पापी ग्रह माना जाता है। इसीलिए शनि के साथ यदि राहु बैठ जाए तो शनि की नकारात्मकता को बेहद बढ़ा देता है। जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में भयानक दुख उत्पन्न हो जाता है। ठीक उसी प्रकार मंगल अग्नि का, बारूद का, विस्फोट का, लड़ाई झगड़े का, युद्ध का, हथियारों का कारक ग्रह माना जाता है। मंगल के साथ यदि केतु बैठ जाए तो मंगल की अग्नि की मात्रा को 5 गुना अधिक बढ़ा देता है। जिसे ज्वालामुखी योग कहा जाता है। इसका एक नाम पिशाच योग भी है। यहां तक कि मंगल यदि केतु के नक्षत्र में बैठे हो अथवा केतु मंगल के नक्षत्र में बैठे हों अथवा मंगल और शनि की युति हो जाए अथवा राहु के नक्षत्र में मंगल और मंगल के नक्षत्र में राहु बैठे हो तब भी अग्नि और विस्फोट से संबंधित घटनाएं घटित होती हैं। कुल मिलाकर यह देखा गया की मंगल और केतु के संयोग से ही अग्नि, बारूद, विस्फोट से संबंधित घटनाएं घटित होती हैं।
इस वर्ष 2025 के आरंभ में महाकुंभ में भी अग्निकांड हुआ था। जिसमें भगदड़ मची थी और कुछ लोग दुर्घटना के शिकार हुए थे।
कभी-कभी कुछ ऐतिहासिक संयोग भी बन जाते हैं। मैं व्यक्तिगत तौर पर जब विश्लेषण कर रहा था। तब पाया कि ई. सन 1919 बुधवार से शुरू हुआ था और बुधवार को समाप्त हुआ था। ठीक उसी तरह ई. सन 2020 बुधवार से शुरू हुआ था और बुधवार को समाप्त हुआ था। ई.सन 1941 बुधवार से शुरू हुआ था और बुधवार को समाप्त हुआ था। यह वर्ष 2025 बुधवार से आरंभ हुआ है और बुधवार को ही 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इतिहास गवाह है 1919 में भयानक महामारी फैली थी। जिसमें पूरे विश्व की बड़ी आबादी तबाह हो गई थी। 1941 में द्वितीय विश्व युद्ध (1939 से 1945) के दौरान भयानक धन-जन की क्षति हुई थी। ठीक उसी तर्ज पर 2025 में पूरे विश्व में युद्ध का माहौल बना हुआ है और अग्नि से संबंधित भयानक दुर्घटनाएं हो रही है।
मैंने व्यक्तिगत तौर पर कुछ विमान दुर्घटनाओं के ऊपर अध्ययन किया तो बहुत ही हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आए।
27 मार्च 1977 को कैनरी द्वीप समूह के टेनेरिफ द्वीप पर दो हवाई जहाजों की टक्कर रनवे पर हो गई। जिसमें 583 लोगों की जानें चली गईं। उस दिन मंगल ग्रह राहु के शतभिषा नक्षत्र में और राहु ग्रह मंगल के चित्रा नक्षत्र में गोचर कर रहे थे।
25 जनवरी 1990 को कोलंबिया से उड़ान भरने वाला विमान न्यूयॉर्क के JFK अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंडिंग करते समय क्रैश हो गया। जिसमें 73 लोगों की मृत्यु हो गई। उस दिन गोचर में मंगल और शनि की युति थी। मंगल ग्रह केतु के मूल नक्षत्र में और राहु ग्रह मंगल के धनिष्ठा नक्षत्र में गोचर कर रहे थे।
20 दिसंबर 1995 को कोलंबिया के कैली में एक हवाई जहाज क्रैश हुआ जिसमें 159 लोगों की मौत हो गई।उस दिन मंगल और सूर्य एक साथ केतु के मूल नक्षत्र में और राहु ग्रह मंगल के चित्रा नक्षत्र में गोचर कर रहे थे।
11 मई 1996 को मियामी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक विमान क्रैश हो गया। जिसमें 110 लोगों की जानें चली गईं। उस दिन मंगल और सूर्य अग्नि राशि मंगल की मेष राशि में और केतु के अश्विनी नक्षत्र में गोचर कर रहे थे।
12 नवंबर 1996 को सऊदी अरब और कजाकिस्तान की हवाई जहाजों की आकाश में टक्कर हो गई। जिसमें 349 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। उस दिन मंगल ग्रह केतु के मघा नक्षत्र में गोचर कर रहे थे।
17 जुलाई 2000 को पटना में एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें 60 लोगों की मृत्यु हो गई । उस दिन केतु ग्रह के ऊपर मंगल की दृष्टि पड़ रही थी। मंगल स्वयं पापकर्तरी योग में विराजमान थे।
12 जून 2025 हो अहमदाबाद में हवाई दुर्घटना में 241 हवाई यात्रियों के साथ 290 लोगों की जानें चली गईं। उस दिन भी मंगल और केतु साथ में गोचर कर रहे थे अग्नि राशि, सिंह राशि में।
पानी का जहाज टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को साउथैम्पटन शहर से न्यूयॉर्क की यात्रा पर निकला था। इस जहाज की यह पहली यात्रा थी। टाइटैनिक जहाज बनाने वाली कंपनी का यह दावा था कि यह जहाज कभी नहीं डूबेगा। किंतु 14 अप्रैल की रात 11:40 पर यह टाइटैनिक जहाज एक बड़े हिमखंड से टकरा गया और रात 2:20 पर पूरी तरह से समंदर में डूब गया। जिसमें 1500 से अधिक लोग मारे गए।
14 अप्रैल 1912 को जब यह घटना घटित हुई थी उस दिन मंगल ग्रह की दृष्टि केतु पर पड़ रही थी। मंगल राहु के आर्द्रा नक्षत्र में थे और केतु मंगल के चित्रा नक्षत्र में विराजमान थे। मंगल पर शनि की तीसरी क्रूर दृष्टि पड़ रही थी। इस प्रकार इस घटना में भी मंगल और केतु का संबंध बना। कुल मिलाकर यह सिद्ध हो गया कि जब-जब मंगल और केतु का गोचर में अर्थात ब्रह्मांड में संबंध बनता है। तब तब कोई भयानक दुर्घटना होती है। जिसमें लाखों,हजारों लोगों की जान चली जाती है।
36 वर्षों के बाद मंगल और केतु का यह संयोग अग्नि राशि अर्थात सिंह राशि पर बन रहा है। एक तो मंगल स्वयं अग्नि का कारक, दूसरा केतु मंगल से भी अधिक अग्नि तत्व का प्रभाव देने वाला और यह दोनों ग्रह सिंह राशि अर्थात अग्नि राशि में विराजमान हैं। जिसके कारण पूरे पृथ्वी पर हाहाकार मचा रहेगा। 28 जुलाई 2025 और उसके सात आठ दिन आगे तक इस दुर्योग का प्रभाव देखने को मिलेगा। जिसके कारण पूरे विश्व में अग्निकांड देखने और सुनने को मिलेंगे।
18 जुलाई से 30 नवंबर 2025 तक शनि देव मीन राशि में वक्री स्थिति में होंगे। मीन राशि काल पुरुष की अंतिम राशि है। इसे मोक्ष की राशि कहते हैं। इस राशि में शनि का वक्री होना भयानक त्रासदी की सूचना दे रहा है। इसी बीच अक्टूबर महीने में देवगुरु बृहस्पति अतिचारी होकर कर्क राशि में आ जाएंगे। कर्क राशि भी जल तत्व की राशि है। ऐसी स्थिति में तीसरा विश्व युद्ध होने की प्रबल संभावना बन रही है। हथियारों का भयानक प्रयोग होगा। एक देश दूसरे देश पर आक्रमण करेंगे। बड़ी मात्रा में जनधन की हानि होगी। गोलीकांड, अग्निकांड, बारूद और ज्वालामुखी, भूकंप इत्यादि से बड़ी मात्रा में मनुष्यों और पशुओं की मृत्यु होगी। इसी समय अवधि में एक भयानक महामारी का प्रकोप भी बढ़ेगा। जिसके कारण भी कई लोगों की मृत्यु हो जाएगी।
दूसरी तरफ शनि और मंगल का षडाष्टक योग के कारण जल प्रलय की स्थिति भी देखने को मिलेगी। उस पर से यह वर्ष 2025 जिसका मूलांक 9 बनता है। इस वर्ष का स्वामी ग्रह भी मंगल बनते हैं। इस कारण 2025 दिसंबर तक अनेकों प्रकार की अग्नि से संबंधित दुर्घटनाएं होंगी। अतः इस वर्ष यदि टाल सकते हैं तो लंबी दूरी की यात्राएं टाल देना अच्छा रहेगा। अथवा कम से कम 31 जुलाई 2025 तक जहां तक संभव हो सके लंबी दूरी की यात्राओं को टाल देना ही बेहतर होगा। यह तो बात हो गई मंगल और केतु के गोचर में बनने वाले प्रभाव की। कई बार ऐसा भी होता है कि जब गोचर में शुभ ग्रहों की स्थिति रहती है तब भी इस प्रकार की दुर्घटनाएं हो जाती हैं। किंतु सबके साथ नहीं, किसी व्यक्ति विशेष के साथ। उसके लिए क्या सावधानी बरतना चाहिए?
सर्वप्रथम कहीं भी लंबी दूरी की यात्रा पर जाना हो तो जिस व्यक्ति को यात्रा करनी हो वह अपनी जन्म कुंडली में देख लें। यदि मंगल की महादशा में केतु की अंतर्दशा अथवा केतु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा चल रही हो अथवा शनि की महादशा में राहु की अंतर्दशा चल रही हो अथवा राहु की महादशा में शनि की अंतर्दशा चल रही हो। किसी भी प्रकार से मंगल और केतु का संबंध बन रहा हो तब विशेष सावधानी बरतें। क्योंकि जन्म कुंडली में चाहे यह ग्रह कितनी भी अच्छी स्थिति में हों इन ग्रहों की दशा अंतर्दशा में बड़े-बड़े हादसे, बड़ी-बड़ी दुर्घटनाएं होने की संभावना अत्यधिक रहती है। ऐसी स्थिति में इन्हीं ग्रहों की दशा अंतर्दशा में यदि किसी की जन्म कुंडली में साढेसाती, ढैया अथवा मारकेश की महादशा चल रही हो अथवा छठे, आठवें, बारहवें घर की महादशा चल रही हो तब तो विशेष सावधानी बरतना चाहिए। यथा संभव यात्रा नहीं करें तो बेहतर होगा। जीवन सुरक्षित रहेगा।
गोचर में मंगल केतु की युति के प्रभाव के कारण लोगों के वैवाहिक जीवन पर भी बुरा असर पड़ेगा पति-पत्नी के आपसी टकराव के कारण एक दूसरे की जीवन हानि भी संभव होगा। यदि किसी की जन्म कुंडली में मंगल दोष हो तो मंगल केतु की बनने वाली गोचर में यह युति बेहद कष्ट दायक हो जाएगी। 31 जुलाई 2025 तक कई हत्याएं और आत्महत्याओं की स्थिति बन रही है। अतः सावधानी बरतना आवश्यक होगा। इस समय प्रायः सभी व्यक्तियों को बहुत अधिक गुस्सा आएगा। क्रोध की मात्रा बढ़ जाएगी।
इस समय तलाक के केस बहुत अधिक मात्रा में सुनने को मिलेंगे। घरेलू कलह, जमीन जायदाद को लेकर झगड़े, कोर्ट कचहरी, केस मुकदमे, आपसी कलह, एक्सीडेंटल योग, सड़क पर चलते हुए दुर्घटनाएं, रेल दुर्घटना, बाढ़, भूकंप, बादलों का फटना, जमीन खिसकना,सुनामी का खतरा, शॉर्ट सर्किट, गैस सिलेंडर का फटना, दुकान, मकान या फैक्ट्री में आग लगने की घटना, आसमान से बिजली गिरने से दुर्घटना, जानवरों के हमले से दुर्घटना, सांप के काटने से दुर्घटना, जहरीली गैस के रिसने से दुर्घटना, ज्वालामुखी फटने से दुर्घटना, अचानक किसी बीमारी के फैलने से जनजीवन का अस्त व्यस्त होना इत्यादि अशुभ फल पूरे 2025 में देखने को मिलेंगे। पड़ोसी देशों का आपसी टकराव देखने को मिलेगा। एक देश दूसरे देश पर हथियारों से हमला करेगा। जिसके कारण अग्नि और बारूद के विस्फोट से कई जिंदगियां तबाह हो जाएंगी। भारी मात्रा में जनधन की हानि होगी। जहां जनसमूह बड़ी मात्रा में एकत्रित होगा, वहां दुर्घटना की संभावना अधिक रहेगी। पशुओं में भी कोई रहस्यमय रोग फैलने की संभावना बन रही है।
विशेष जानकारी
भविष्य पुराण में स्वामी अच्युतानंद जी ने यह लिखा है कि मीना कृष्ण चतुर्दशी अर्थात मत्स्य चतुर्दशी शुक्रवार को ई.सन 2028 से 2031 के बीच में पड़ेगा। उस दिन से 7 दिनों तक और 7 रातों तक अंधेरा छा जाएगा। उजाला नहीं होगा। 7 दिन और 7 रात का अंधेरा ही वह प्रलय का समय होगा जिसमें लाखों करोड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ेगी। लोगों के घरों में जंगली पशु घुस आएंगे अंधेरा होने के कारण। इस प्रकार चारों तरफ से मनुष्यों के ऊपर हमला होगा। इस संसार में सिर्फ सात्विक मनुष्य ही जीवित बचेंगे। 7 दिन और 7 रात के अंधेरे की समाप्ति के बाद सतयुग आरंभ हो जाएगा।।
उपाय:
जहां तक संभव हो जहां पर अधिक भीड़ हो वहां जाने से बचना चाहिए। किसी बड़े तीर्थ स्थान पर जहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है, इस समय ऐसे स्थान पर जाने से बचें। मेला, हिल स्टेशन, सिनेमाघर इत्यादि जगहों पर 31 जुलाई तक जाने से बचें। लंबी दूरी की यात्रा करने से बचें। यदि यात्रा करना अति आवश्यक हो तो घर से निकलते समय और वाहन में बैठते समय श्रीरामचरितमानस के इस चौपाई का पाठ अवश्य कर लें.....
*चलत विमान कोलाहल होई, जय रघुवीर कहे सब कोई।*
लाल और काले रंगों के वस्त्रों को एक साथ धारण न करें। मंगलवार और शनिवार को यात्रा करने से बचें। प्रत्येक मंगलवार को गुड़ का दान करें। स्वयं भी गुड़ खाएं। मंगलवार के दिन और शनिवार के दिन श्री हनुमान जी के मंदिर में दर्शन पूजा करें। प्रतिदिन श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें। मंगलवार और शनिवार को यथासंभव सुंदरकांड का पाठ करें अथवा सुंदरकांड का पाठ सुने। प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें। प्रतिदिन सूर्य भगवान को अर्घ्य समर्पित करें।अपने हाथ की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर रखें।लड़ाई झगड़ा, बहस, विवाद से बचें। मंगलवार और शनिवार को अग्नि कारक वस्तुओं की खरीदारी से बचें।
इति शुभमस्तु!! लेखक:रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन। ज्योतिष मार्तंड एवं जन्मकुंडली विशेषज्ञ।
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