भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ 'काव्यमय स्नेहाशीष समारोह'

- 'शब्दाक्षर' राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में हुआ अनुपम आयोजन
साहित्य, संस्कृति और पारिवारिक सौहार्द के अद्भुत संगम का एक अनुपम उदाहरण तब देखने को मिला, जब राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर' के तत्वावधान में शाहपुर देवी मंदिर के समीप स्थित कमलेश मिश्र एवं विमलेश मिश्र के आवास पर बिटिया सृष्टि एवं किसलय के विवाहोपरांत एक विशिष्ट काव्यमय स्नेहाशीष समारोह का भव्य आयोजन किया गया।
काव्य से सजी रसधार, मंगलकामनाओं की बौछार|
इस समारोह की अध्यक्षता संस्था के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री श्री धनंजय जयपुरी ने की, जबकि संचालन की बागडोर अपने हास्य-विनोदपूर्ण अंदाज़ में विनय 'मामूली बुद्धि' ने संभाली।

शुभारंभ वैदिक स्वस्तिवाचन से|
कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक परंपरा के अनुरूप डॉ. हेरंब मिश्र द्वारा स्वस्तिवाचन एवं गणेश वंदना के मधुर उच्चारण से हुआ, जिसने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण कर दिया।
वर-वधू के लिए स्वरचित आशीष का मधुर संगम
कवि अनिल अनल ने अपनी हृदयस्पर्शी कविता द्वारा नवदम्पति के जीवन में मंगलता की कामना की। कवि शैलेंद्र मिश्र 'शैल' ने मधुर स्वर में अपनी कोमल भावनाओं से सजी रचनाओं की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
युवा कवि नागेंद्र कुमार केसरी की कविता "एक नन्हा बच्चा सोया था" ने इतनी भावप्रवणता से सभी को झकझोर दिया कि कई श्रोताओं की आंखें नम हो गईं।
भावनाओं की सुगंध से महका समारोह
कवियों ओम प्रकाश पाण्डेय और अनुज बेचैन की प्रस्तुतियों को भी खूब सराहा गया। कार्यक्रम में सजीवता भरते हुए धनंजय जयपुरी ने अध्यक्षीय काव्य उद्बोधन में वर-वधू के दाम्पत्य जीवन की सफलता के लिए पद्यमयी मंगलकामना की, जिसे सुनकर उपस्थित जन भाव-विभोर हो उठे।
साहित्यिक सौहार्द के साक्षी बने परिजन और रचनाकार
इस अवसर पर उपस्थित साहित्यप्रेमियों और परिवार के लोगों ने भी अपने भावपूर्ण विचार साझा किए। योगेश मिश्र और राकेश मिश्र ने नवदम्पति को आशीष स्वरूप प्रेरणादायी विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम की सफल व्यवस्था और संचालन में ललित, अमित, अंकित, आयुष, एवं आदित्य की विशेष भूमिका रही, जिनके प्रयासों से यह आयोजन एक स्मरणीय सांस्कृतिक समारोह के रूप में उभरा।
यह समारोह न केवल एक पारिवारिक आनंदोत्सव रहा, बल्कि साहित्यिक समर्पण, मानवीय संवेदनाओं और काव्य की शक्ति का सुंदर उदाहरण भी बन गया। ‘शब्दाक्षर’ संस्था द्वारा पारिवारिक आयोजनों में साहित्यिक गरिमा जोड़ने का यह प्रयास निश्चित ही अनुकरणीय है।
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