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विश्व संगीत दिवस: आत्मिक चेतना का साधन और वैश्विक समरसता की ध्वनि

 विश्व संगीत दिवस: आत्मिक चेतना का साधन और वैश्विक समरसता की ध्वनि

✍️लेखक: सत्येन्द्र कुमार पाठक
जब संगीत बोलता है, आत्मा सुनती है

संगीत – यह शब्द मात्र कोई श्रव्य तरंग नहीं, बल्कि भावनाओं, संवेदनाओं और चेतना की परम अभिव्यक्ति है। यह वह शक्ति है जो बिना भाषा बोले भी दिलों को छू लेती है, मानव को आत्मा से जोड़ देती है और व्यक्तित्व को ऊर्जा से भर देती है।

हर वर्ष 21 जून को मनाया जाने वाला विश्व संगीत दिवस (World Music Day), जिसे फ्रांसीसी भाषा में ‘Fête de la Musique’ कहा जाता है, उसी संगीत की दिव्यता का उत्सव है। यह दिन दुनिया को याद दिलाता है कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आत्मिक चेतना का प्रवेशद्वार, मानसिक शांति का औषध और वैश्विक एकता का सेतु है।

इस दिन का महत्व सिर्फ सुरों और तालों में नहीं, बल्कि उस सामूहिक भावना में है जो संगीत के माध्यम से मानवता को जोड़ती है।
🔷 इतिहास की सुर-गाथा: फ्रांस से वैश्विक फलक तक

विश्व संगीत दिवस की नींव 1982 में फ्रांस में रखी गई। फ्रांस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री जैक लैंग और संगीत समीक्षक मौरिस फ्लेरेट ने यह महसूस किया कि देश में लाखों लोग संगीत सीखते हैं लेकिन प्रदर्शन का कोई सार्वजनिक मंच नहीं है।

इस विचार से प्रेरित होकर 21 जून को “Fête de la Musique” की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य था—संगीत को बंद सभागारों से निकालकर सड़कों पर लाना और हर नागरिक को अपने संगीत के माध्यम से समाज से जुड़ने का अवसर देना।

देखते ही देखते यह छोटी-सी पहल एक वैश्विक आंदोलन बन गई। आज यह उत्सव भारत, अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, इटली, जापान, ब्राजील, रूस सहित 120 से अधिक देशों में मनाया जाता है।
🔶 थीम 2025: "Healing Through Harmony" — संगीत का उपचारात्मक पक्ष

वर्ष 2025 की थीम “हीलिंग थ्रू हार्मनी” संगीत की उस दिव्यता को रेखांकित करती है जो शांति, तनाव-निवारण और मानसिक स्वास्थ्य में सहायक होती है। यह थीम बताती है कि संगीत केवल कानों के लिए नहीं, आत्मा और समाज दोनों के उपचार के लिए भी आवश्यक है।

👉 अवसाद से जूझ रहे व्यक्ति को संगीत संबल देता है।
👉 तनावग्रस्त हृदय को संगीत राहत देता है।
👉 एकाकी मनुष्य को संगीत साथ देता है।
👉 विखंडित समाज को संगीत जोड़ने का माध्यम देता है।

इस थीम की प्रासंगिकता तब और बढ़ जाती है जब हम देखते हैं कि वैश्विक स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर चिंता बन चुका है। संगीत की तरंगें ऐसी हैं जो बिना दवा के भी आत्मा को उपचार दे सकती हैं।
🔷 संगीत की भारतीय दृष्टि: ‘नाद ब्रह्म’ से ‘राग चिकित्सा’ तक

भारतवर्ष में संगीत को कभी केवल कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं माना गया, बल्कि यह आत्मा की साधना माना गया है। नाद को ब्रह्म कहा गया है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है:
“नादोपासना परम साधना”
अर्थात् – नाद की साधना सर्वोच्च साधना है।
📌 सामवेद

भारतीय चार वेदों में सामवेद पूर्णतः संगीत आधारित है। इसमें मंत्रों को गाकर (गान रूप में) प्रस्तुत करने की परंपरा है। यह संगीत की प्राचीनता और आध्यात्मिक आधार का साक्ष्य है।
📌 योग और संगीत

योगियों ने ‘नाद योग’ को आत्मा के जागरण और ब्रह्म से एकाकार होने का साधन माना है। वे मानते हैं कि जब अंतर्नाद (आंतरिक ध्वनि) को साध लिया जाए तो आत्मा परमात्मा से मिल जाती है।
📌 राग चिकित्सा

भारतीय राग प्रणाली में हर राग का मनोवैज्ञानिक प्रभाव होता है—

राग दरबारी: चिंता कम करता है

राग भैरव: आत्मबल बढ़ाता है

राग यमन: मन को स्थिर करता है

राग मल्हार: मानसून को बुलाने की शक्ति मानी जाती है

यह केवल शास्त्र नहीं, आज भी अनेक चिकित्सकीय प्रयोगों में यह सिद्ध हुआ है कि भारतीय राग मनुष्य की मनःस्थिति को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
🔶 संगीत: समाजशास्त्र और जनचेतना का माध्यम

विश्व संगीत दिवस केवल मंचीय प्रदर्शन का दिन नहीं, बल्कि यह दिन सामाजिक चेतना, भागीदारी और समरसता का पर्व है।
🎵 लोकतंत्रीकरण

यह दिन हर किसी को—चाहे वह प्रशिक्षित संगीतज्ञ हो या गायक बनने का शौक़ीन—मंच पर लाने का अवसर देता है। संगीत पर किसी एक वर्ग का एकाधिकार नहीं; यह जन-जन की धरोहर है।
🎵 सांस्कृतिक विविधता का उत्सव

लोकगीतों से लेकर शास्त्रीय रागों तक, ग़ज़ल से लेकर पॉप तक, भक्ति गीतों से लेकर जैज़ और फ्यूजन तक – यह दिन संगीत की हर शैली को बराबर सम्मान देता है।
🎵 भागीदारी को बढ़ावा

यह दिन केवल "सुनने" के लिए नहीं, बल्कि “खुद गाने-बजाने” के लिए है। इस दिन को DIY (Do It Yourself) संगीत उत्सव भी कहा जा सकता है।
🎵 सामुदायिक बंधन

जब गायक, वादक, श्रोता एक ही स्थान पर होते हैं, तो जाति-धर्म, वर्ग-वर्ण, और अमीर-गरीब के भेद पिघल जाते हैं। केवल एक सुर होता है—“हम”।
🔷 भारत में विश्व संगीत दिवस: विविधतापूर्ण उत्सव

भारत के शहरों और गांवों में, कॉलेजों और विद्यालयों में, संगीत संस्थानों और सड़कों पर, यह दिन कला और भाव की तरंगों से गूंजता है।
🎶 प्रमुख आयोजनों की झलकियां

दिल्ली में इंडिया हैबिटैट सेंटर और सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में निःशुल्क संगीत प्रस्तुतियाँ

बंगलोर में क्यूबोन पार्क में ओपन माइक और लाइव बैंड्स

वाराणसी में घाटों पर रागों का जादू

कोलकाता में रवींद्र संगीत, बाउल और लोक संगीत की झांकी

पटना, जहानाबाद, गया जैसे छोटे शहरों में भी सृजनशील प्रस्तुतियाँ

यह दिन बताता है कि कला किसी सीमित भूगोल की चीज नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के भीतर की अग्नि है जिसे अभिव्यक्ति की जरूरत होती है।
🔶 संगीत चिकित्सा: विज्ञान और संगीत का संगम

आज मेडिकल साइंस भी यह स्वीकार करने लगा है कि संगीत का प्रभाव शरीर और मस्तिष्क पर सकारात्मक होता है।
🔬 संगीत और मस्तिष्क

न्यूरो-साइंस बताता है कि संगीत सुनने से डोपामिन हार्मोन रिलीज होता है जो आनंद और प्रसन्नता का संचार करता है।

अल्जाइमर और डिमेंशिया रोगियों में संगीत के माध्यम से स्मृति जागरण के परिणाम सामने आए हैं।


नवजात शिशुओं में संगीत सुनाने से उनकी नींद और भूख में सुधार होता है।
💉 संगीत थेरैपी के प्रयोग

अस्पतालों में रोगियों को विश्राम देने के लिए हल्का संगीत चलाया जाता है।

मानसिक रोगियों के उपचार में 'Music Therapy Sessions' का प्रयोग सफल रहा है।

कई कार्डियोलॉजिस्ट अब 'Heart Rate Music Sync' तकनीक से हृदय रोगियों की थेरेपी करते हैं।
🔷 प्रसिद्ध संगीत साधक और उनके विचार
🎼 पंडित रविशंकर:

"संगीत को साधना समझो, प्रदर्शन नहीं। उसमें अहंकार नहीं, आत्मसमर्पण चाहिए।"
🎼 लता मंगेशकर:

"मेरे लिए गायन पूजा है, मैं जब गाती हूँ, तब मेरी आत्मा ईश्वर से संवाद करती है।"
🎼 ए आर रहमान:

"संगीत वह शक्ति है जो युद्ध को शांति में, क्रोध को करुणा में और विभाजन को मेल में बदल सकती है।"
🔶 भविष्य की दृष्टि: संगीत की नई संभावनाएँ

संगीत के क्षेत्र में आज तकनीक और नवाचार का प्रवेश हो चुका है:


AI Music Composition: अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संगीत बना सकता है।


Virtual Concerts: मेटावर्स और वर्चुअल रिएलिटी में संगीत प्रस्तुतियाँ हो रही हैं।


Music for Mindfulness: ध्यान और योग के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए ट्रैक्स लोकप्रिय हो रहे हैं।


Inclusive Music Programs: अब दृष्टिहीन, श्रवणबाधित और दिव्यांगों के लिए भी विशेष संगीत पाठ्यक्रम विकसित किए जा रहे हैं।
🔷संगीत – आत्मा की संजीवनी

विश्व संगीत दिवस सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि यह आत्मा, संस्कृति और मानवता की एक संजीवनी शक्ति है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि जब शब्द चूक जाते हैं, तब संगीत बोलता है।

जहानाबाद जैसे नगरों से लेकर टोक्यो और न्यूयॉर्क जैसे महानगरों तक, जब एक ही सुर में लोग गाते हैं, तब मानवता की आत्मा मुस्कराती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि—
"जहाँ संगीत है, वहाँ जीवन है। जहाँ जीवन है, वहाँ प्रेम है। और जहाँ प्रेम है, वहाँ ईश्वर है।"
✍️ समर्पित वाणी:

“🎶 न सखे! ये गीत केवल गाने को नहीं हैं,
ये वो स्वर हैं जो आत्मा को स्पर्श करते हैं।
ये वो लहरें हैं जो रग-रग में समा जाती हैं,
और अंततः हमें हमारे आप से मिला देती हैं। 🎶”

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