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चापलूसी

चापलूसी

जय प्रकाश कुवंर
हाँ मैं हाॅ मिलाते जाओ।
मिठी रेवड़ी खाते जाओ।।
अब ना धर्म रहा ईमान।
चापलूसी का लो संज्ञान।।
कलयुग में समझो तुम भाई।
चापलूसी की देना दुहाई।।
जब तक मंत्र ये साथ रहेगा।
सब के साथ खुब बनेगा।।
धर्म ईमान की जब बात करोगे।
समझो तुम भुखे मरोगे।।
कोई न होगा पुछने वाला।
जीवन बन जाएगा निठल्ला।।
उपर जाकर क्या कहना है।
पहले यहाँ खुश रहना है।।
उस लोक की चिंता छोडो भाई।
यहाँ चापलूसी में मत करो ढिलाई।। 
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