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सत्येंद्र कुमार पाठक: सेवा, साहित्य और पत्रकारिता के संगम पुरुष का जन्मोत्सव

सत्येंद्र कुमार पाठक: सेवा, साहित्य और पत्रकारिता के संगम पुरुष का जन्मोत्सव

डॉ. राकेश दत्त मिश्र
पटना/अरवल | 15 जून 2025 — आज का दिन बिहार के लिए विशेष गौरव का क्षण है, जब राज्य और देशभर के साहित्य, समाज सेवा, पत्रकारिता और शिक्षा जगत के लोग सत्येंद्र कुमार पाठक जी के जन्मदिवस पर उन्हें भावभीनी शुभकामनाएँ अर्पित कर रहे हैं। अरवल जिले के करपी प्रखंड की धरती पर जन्मे पाठक जी ने अपने जीवन के सात दशक समाज को समर्पित किए हैं। यह दिन न केवल उनके जीवन का उत्सव है, बल्कि सेवा, समर्पण और सृजनशीलता के प्रतीक व्यक्ति के संघर्षों, उपलब्धियों और आदर्शों को स्मरण करने का भी दिन है।
🧠 ज्ञान से सेवाभाव तक: प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

15 जून 1957 को शाकद्वीपीय ब्राह्मण परिवार में जन्मे सत्येंद्र कुमार पाठक जी के पिता पंडित सच्चिदानंद पाठक जहां ज्योतिष और कर्मकांड के आचार्य थे, वहीं उनकी माता ललिता देवी और पत्नी सत्यभामा देवी धार्मिक और पारिवारिक मूल्यों की मूर्ति रहीं। उन्होंने शास्त्री प्रतिष्ठा, आई.ए., विशारद और बी.टी. जैसी शैक्षणिक उपलब्धियाँ अर्जित कर शिक्षा के क्षेत्र में अपनी गहरी रुचि सिद्ध की। 1 नवंबर 1977 से लेकर 30 जून 2017 तक सरकारी विद्यालयों में अध्यापन करते हुए उन्होंने हजारों विद्यार्थियों के जीवन को दिशा दी। वर्तमान में वे सेवानिवृत्त होकर सामाजिक और बौद्धिक सेवा में संलग्न हैं।
✍️ पत्रकारिता में पाँच दशक का समर्पण

पाठक जी का पत्रकारिता जीवन वर्ष 1975 में प्रारंभ हुआ। गया से प्रकाशित गया समाचार, मगध धरती, मगधाग्नि, पटना से आर्यावर्त, हिंदुस्तान, आज, पाटलिपुत्र टाइम्स, और जयपुर से यंग लीडर जैसे प्रमुख समाचार माध्यमों में संवाददाता और स्तंभकार के रूप में वे सक्रिय रहे।

वे समस्या दूत, शिप्रा, मगध ज्योति (मासिक एवं साप्ताहिक), बुलंद समाचार, दिव्य रश्मि पोर्टल और मगध ज्योति ब्लॉगस्पॉट में संपादन से लेकर लेखन तक की जिम्मेदारी निभाते आए हैं। हाल के वर्षों में उन्होंने निर्माण भारती, वर्ल्ड वाइज न्यूज़, देवभूमि दैनिक और मगबन्धु (अखिल) जैसी पत्रिकाओं में अतिथि एवं प्रबंध संपादक की भूमिका निभाई।
🌿 समाज सेवा में अतुलनीय योगदान

1976 में करपी में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान दुग्ध-दलिया समिति के सदस्य के रूप में उन्होंने राहत कार्यों में हिस्सा लिया। इसके बाद वे किसान सुरक्षा समिति, परिवार कल्याण समिति, विद्युत उपभोक्ता समिति, शिक्षक संघ, मगही मंच, साहित्य सम्मेलन, बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ, भारतीय पुनर्वास परिषद, और जीवनधारा नमामी गंगे जैसे अनेक संगठनों में पदाधिकारी के रूप में सक्रिय रहे।

उनकी समाज सेवा विकलांग जनों से लेकर पर्यावरण रक्षा, ग्रामीण विकास से लेकर शिक्षा सुधार तक फैली हुई है। वर्ष 2003 में दिल्ली में आयोजित विकलांगता कन्वेंशन में उनका योगदान विशेष रूप से सराहा गया। वे वर्तमान में जीवनधारा नमामी गंगे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं G5 के सदस्य हैं।
🏆 सम्मान और उपलब्धियाँ

उनके कार्यों को राष्ट्रीय और राज्यस्तर पर अनेक मंचों पर सम्मानित किया गया है। इनमें शामिल हैं:


आचार्य उपाधि (1998, जैमिनी अकादमी, पानीपत)


महाकवि योगेश मगही शिखर सम्मान (2013)


पं. जनार्दन प्रसाद झा द्विज सम्मान (2020)


गहमरी लेखक गौरव सम्मान, साहित्य रत्न सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय कला एवं साहित्य सम्मान, दीपोत्सव साहित्य सम्मान, अशोक स्मृति निर्भय पत्रकारिता सम्मान आदि
📚 साहित्यिक कृतियाँ: इतिहास, संस्कृति और संवेदना का संगम

पाठक जी की साहित्यिक यात्रा भी उल्लेखनीय है। उनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ हैं:


मगधाँचल (2009)


बराबर (2011, बिहार सरकार द्वारा अनुदानित)


बाणावर्त (2018)


विरासत (2022)


मगध क्षेत्र की विरासत (2024)

उनकी अप्रकाशित कृतियों विरासत यात्रा और लोक संस्कृति में भी उनकी सृजनशील दृष्टि झलकती है। उनका साहित्य मगध की सांस्कृतिक विरासत और समाज की जड़ों से जुड़ा हुआ है।
🎉 साहित्यिक भावांजलि: कविताई श्रद्धा

उनके जन्मदिन पर रचित यह पंक्तियाँ उनकी सजीव छवि को शब्दों में ढालती हैं:


"सत्येन्द्र कुमार पाठक का, अनुपम जीवन महान।
पत्रकारिता, सेवा, लेखन में, रहा सदा अनुरक्त।
कलम की शक्ति, सेवा की निष्ठा,
साहित्य-संस्कृति के संग बने युगपुरुष विशेष।"
🙏 नमन और शुभकामनाएँ

सत्येंद्र कुमार पाठक का जीवन एक मिशाल है—जहाँ एक शिक्षक का दायित्व, पत्रकार का दर्पण, समाजसेवी का संकल्प और साहित्यकार की संवेदना एकाकार हो जाती है। उनके विचार, कार्य और लेखनी समाज को दिशा देती रहे, यही आज उनके जन्मदिवस पर सच्ची शुभकामना होगी।

"आप जिएं हजारों साल,
सदा रहे समाज पर आपका कमाल।"
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