मेरे कृष्णा रास रचयिता
रासलीला अद्भुत अनुपम,वृंदावन उत्संग आनंद भोर ।
यमुना तटे चंद्र मुस्कान खिले,
कान्हा राधा सम्मोहन छोर।
तारों संग नभ अठखेलियां,
प्रकृति मस्त मलंग नचयिता ।
मेरे कृष्णा रास रचयिता ।।
मनमोहक गोपियां समूह,
परिवेश अंतर चूड़ियां खनक ।
पायल झंकार माधुर्य मधुरिमा,
राधा नयन प्रणय भनक ।
मुग्ध जन मानस पटल,
सुन बंसी धुन भवयिता ।
मेरे कृष्णा रास रचयिता ।।
मंच बिंदु प्रसूनी साजसज्जा,
स्नेह प्रेम युक्त तरंग हिलोर ।
विस्मृत निज अस्मिता भान ,
दृष्टि पलक कन्हाई ओर ।
सर्वत्र रसिक भव मनोरम,
अंतःकरण अनुभूत संनादिता ।
मेरे कृष्णा रास रचयिता ।।
मलय सुरभि वात वहति,
मयूर पंख मुकुट शीश विराजे ।
गोपियां मोहित मुरारी आभा,
हृदय नेह चमक दमक साजे ।
पुलकित प्रफुल्लित सृष्टि,
रज रज अनंत खुशियां सृजयिता।
मेरे कृष्णा रास रचयिता ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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