Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

तू बन जा मेरी राधा,मैं तेरा मोहन बन जाऊं

तू बन जा मेरी राधा,मैं तेरा मोहन बन जाऊं

रग रग मृदुलता स्पंदन,
अंतःकरण माधुर्य सराबोर ।
पुलकित भाव तरंगिनी ,
तृषा तृप्ति आनंद भोर ।
हाव भाव मस्त मलंग,
अंतर अनंत निखार पाऊं।
तू बन जा मेरी राधा,मैं तेरा मोहन बन जाऊं ।।


प्रति पल दर्शन अभिलाष,
स्मृति पटल मनोरम छवि ।
रूप श्रृंगार अति मनहर,
आकर्षण अठखेलियां नवि ।
यौवन उभार प्रणय जन्य,
नयनन स्नेहिल चित्र बनाऊं ।
तू बन जा मेरी राधा,मैं तेरा मोहन बन जाऊं ।।


परिध क्षेत्र हर्ष उल्लास,
स्वप्न माला जीवंत रूप ।
चाल ढाल उत्साह उमंगी ,
सौंदर्य बिंदु अर्णव प्रतिरूप ।
हिय प्रिय मौन अभिव्यक्ति,
दर्श मुस्कान नित्य प्रीति जगाऊं ।
तू बन जा मेरी राधा,मैं तेरा मोहन बन जाऊं ।।


ह्रदय सरोवर नेह तरंग,
अनुभूति पुनीत पावन ।
स्वर सुरभि दिव्य झंकार,
उर चंचल चंद्रिका बिछावन ।
निशि दिन रमणीक प्रभा,
सदा मिलन सेज सजाऊं ।
तू बन जा मेरी राधा,मैं तेरा मोहन बन जाऊं ।।


कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ