विद्या भारती द्वारा संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन: भारतीय मूल्य-बोध के संरक्षण की पहल

पटना, 26 जून 2025 – शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति, संस्कार और मूल्यों के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार को समर्पित संगठन विद्या भारती द्वारा आगामी माह में "सांस्कृतिक बोध परीक्षा" का आयोजन किया जा रहा है। इस संबंध में संगठन मंत्री श्री ख्याली राम एवं प्रदेश सचिव श्री प्रदीप कुशवाहा ने विशेष वार्ता में परीक्षा के उद्देश्यों, महत्व और इसकी विशेषताओं पर विस्तार से जानकारी दी।
भारतीय संस्कृति को समझने का प्रयास
श्री ख्याली राम ने बताया कि इस परीक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान परीक्षण नहीं, बल्कि छात्र-छात्राओं में भारतीय जीवनमूल्यों, परंपराओं, इतिहास, ऋषि परंपरा, लोक नायक, प्रेरक प्रसंगों तथा राष्ट्रभक्ति की भावना का विकास करना है। उन्होंने कहा –
“आज के वैश्विक और तकनीकी युग में हमारी नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति की जड़ों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक हो गया है। सांस्कृतिक बोध परीक्षा इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”
विद्या भारती के विद्यालयों की विशेषता
प्रदेश सचिव श्री प्रदीप कुशवाहा ने चर्चा के दौरान बताया कि विद्या भारती से जुड़े विद्यालय केवल पाठ्यक्रम आधारित शिक्षा ही नहीं देते, बल्कि वे छात्रों में चरित्र निर्माण, अनुशासन, सेवा, संस्कार और राष्ट्रभक्ति जैसे मूल्यों का भी सिंचन करते हैं।
उन्होंने कहा –
“हमारे विद्यालयों में ‘शिक्षा नहीं, संस्कारों का समावेश’ होता है। प्रार्थना, योग, भारतीय वेशभूषा, मातृभाषा का सम्मान और गुरुओं का आदर हमारे विद्यालयों की पहचान हैं। यही हमें अन्य संस्थानों से अलग और श्रेष्ठ बनाता है।”
परीक्षा की संरचना और भागीदारी
सांस्कृतिक बोध परीक्षा में कक्षा तृतीया से 12वीं तक के छात्र भाग लेंगे। परीक्षा के प्रश्न भारतीय इतिहास, संस्कृति, परंपराएं, स्वतंत्रता संग्राम, महापुरुषों का जीवन, पंचतंत्र, रामायण, महाभारत, विज्ञान एवं समाज के योगदानकर्ताओं से संबंधित होंगे।
परीक्षा का आयोजन ऑफलाइन/ऑनलाइन दोनों स्वरूपों में किया जाएगा।
सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र, और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कार और सम्मान भी दिए जाएंगे।
यह परीक्षा राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक आयोजित की जाएगी, जिससे विद्यार्थियों को व्यापक मंच मिलेगा।
राष्ट्र निर्माण की दृष्टि
संगठन मंत्री ने बताया कि विद्या भारती मानती है कि शिक्षा का लक्ष्य केवल नौकरी नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार, जागरूक, और संस्कारयुक्त नागरिक का निर्माण होना चाहिए।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस परीक्षा के माध्यम से उन स्कूलों में भी भारतीय संस्कृति का बीजारोपण किया जाएगा जो अभी तक पाश्चात्य प्रणाली के प्रभाव में हैं।
शिक्षकों व अभिभावकों की भूमिका
श्री कुशवाहा ने अभिभावकों से अपील की कि वे इस प्रयास को गंभीरता से लें और बच्चों को केवल अंक प्राप्त करने की दौड़ में न डालें, बल्कि संस्कृति, सभ्यता और सेवा भावना से युक्त शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करें।
उन्होंने कहा –
“हम चाहते हैं कि प्रत्येक बच्चा भारत के गौरवशाली अतीत को जाने, वर्तमान में उसका सम्मान करे और भविष्य को दिशा देने वाला बने।”
विद्या भारती द्वारा आयोजित सांस्कृतिक बोध परीक्षा न केवल एक अकादमिक प्रयास है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की नींव तैयार करने वाला सांस्कृतिक अभियान है। यह परीक्षा विद्यार्थियों को भारतीयता के मूल में लाकर उन्हें जिम्मेदार, संवेदनशील और संस्कारी नागरिक बनाने की दिशा में एक सार्थक कदम सिद्ध होगी। विद्या भारती की यह पहल समाज के उन सभी वर्गों को जोड़ने की कोशिश है जो 'भारतीय शिक्षा का भारतीय संदर्भ में पुनरुत्थान' चाहते हैं।
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