साँसों की माला पर सिमरूं,राधा बस तेरा नाम
मृदुल मधुर हिय तरंग,स्वर श्रृंगार अनुपम ।
विमल वाणी ओज गायन,
ज्योतिर्मय अन्तरतम ।
ह्रदय गूंजित मधुमय गान ,
कर नव रस लहर प्रणाम ।
साँसों की माला पर सिमरूं,राधा बस तेरा नाम ।।
दुर्बल छल बल मद माया,
प्रसरित जग जन जन ।
प्रखर निर्मल विमल मति,
तम हर कण कण ।
नवगति नवलय जग अनूप,
नव दृष्टि नवल ज्ञान धाम ।
साँसों की माला पर सिमरूं,राधा बस तेरा नाम ।।
बन कृपानिधि करुणामय,
दया नीर अनंत वृष्टि ।
प्यासे नयन अंतरस्थ,
निज स्वरूप स्नेहिल दृष्टि ।
पुलकित पावन अंतर बिंदु,
स्तुत निशि दिन अष्ट याम ।
साँसों की माला पर सिमरूं,राधा बस तेरा नाम ।।
समय काल स्वर्ण आभा,
सर्वत्र मोद हर्ष उल्लास ।
अनवरत अथाह कृपा प्रसाद,
प्रबल आस्था उमंग विश्वास ।
नेह सौरभ परिपूर्ण जीवन ,
संबंध पटल अपनत्व ललाम।
साँसों की माला पर सिमरूं,राधा बस तेरा नाम ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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