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बारिश की पहली बूंद, प्रेयसी समान

बारिश की पहली बूंद, प्रेयसी समान

रज रज तरूणाई दर्शन,
तृषा भाव तृप्ति ओर।
स्वप्न पटल यथार्थ पंख,
जीवन अंतर आशा भोर ।
धरा हरित श्रृंगार आतुर ,
प्रणय उमंग हर कदम शान ।
बारिश की पहली बूंद,प्रेयसी समान ।।

हाव भाव मस्त मलंग,
अल्हड़ता अंग प्रत्यंग ।
मृदुल मधुर स्वर अधर,
मेघ मल्हार जीवन कंग ।
निहार दामिनी शेख अदाएं ,
अंतर्मन अनंत खुशियां आह्वान ।
बारिश की पहली बूंद,प्रेयसी समान ।।


भीनी भीनी सौरभ सर्वत्र,
विहंग अनूप अठखेलियां।
अति आह्लादित प्राणी जग,
हिय जिय मयूरी रंगरेलियां ।
रग रग नव अंकुरण ओज ,
कृषि जोत संसर्ग विधान ।
बारिश की पहली बूंद,प्रेयसी समान ।।


सुरभित उपवन बाग बगीचे ,
प्रकृति उत्संग आनंद संचार ।
गगन आभा मोहक सोहक ,
सकारात्मकता जीवन आधार ।
सर्वत्र सुख समृद्धि नेह निर्झर
तन मन नवयौवन उफान ।
बारिश की पहली बूंद,प्रेयसी समान ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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