योग दिवस हम सब मनाएं
उमंग उत्साह तन मन जगे योग आरोग्य प्रदाता।आत्मा का पावन संगम चेहरे पर खुशियां लाता।
स्वस्थ सुखी काया कंचन तन पुलकित हो जाए।
नित्य नियम जीवन में जब योग मनुज अपनाए।
योग साधना जो करें संयम शील रहे आचार।
रोग रहित तन मन रहे सुशील हो मन विचार।
प्राणायाम की ओर चले करे योग साधना साथ।
सांसों का स्पंदन सुने स्वास्थ्य सुधरे हाथों हाथ।
अनुलोम विलोम का प्रति दिवस करें अभ्यास।
जरा जड़ से विमुक्त हो रोगों का शीघ्र हो नाश।
चुश्ती फूर्ति ताजगी योगी ह्रदय हिलोरें खाएं।
रग रग में भरो नव चेतना रोम रोम हरसाए।
योगासन ध्यान साधना ऋषि मुनियों की देन।
सनातन है संस्कृति हमारी योग करो दिन रैन।
योग दिवस हम सब मनाएं नवजीवन की भोर।
चमक उठे भाग्य सितारे उजियारा हो चहूंओर।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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