अमर यहाँ कोई नहीं
जय प्रकाश कुवंरअमर यहाँ कोई नहीं, सबको एक दिन जाना है।
यह जगत एक पड़ाव है, वहाँ असली ठिकाना है।।
जन्म में बधाई मिला तो, मरते समय गम कैसा।
जीवन समभाव गुजारा, उसकी आंखें नम कैसा।।
नश्वर शरीर से जितना, मोह माया आसक्ति बढ़ाओगे।
अंत समय सब छोड़ जाना पड़ेगा, नाहक पछताओगे।।
कोटि योनियों में भटकते हुए, मानव जीवन मिलता है।
कांटे तो हर जगह बिखरे हैं, फूल कम ही खिलता है।।
जब तक है जीवन, इस जग में कुछ ऐसा काम करो।
जाना है निश्चित तो, अपने सत्कर्म से अपना नाम करो।।
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