मेरी ख़ुशियाँ मेरे सपने, मेरे बच्चे हैं,
झूठे सच्चे कसमें वादे, सारे बच्चे हैं।नहीं अपेक्षा मुझे मिले बच्चों से कुछ,
यही कामना रहें सफल, नादां बच्चे हैं।
हमें मिला दुनिया में सब, जो भी चाहा,
प्यार जहां में अपनों, ग़ैरों का भी पाया।
औकात नहीं अपनी, दो कौड़ी की भी,
आभार प्रभु, क्षमता से ज़्यादा दिलवाया।
पत्नी बेटा घर परिवार, सभी अच्छे हैं,
मिलने जुलने वाले यार, सभी अच्छे हैं।
घर में बिटिया एक विवाह कर आयी है,
मिले जितने भी रिश्तेदार, सभी अच्छे हैं।
चाहत अपनी, सौ वर्ष का जीवन हो,
स्वस्थ निरोगी काया, सुखी जीवन हो।
नहीं कामना धन दौलत भौतिक सुख की,
अध्यात्म आधार, सीधा सरल जीवन हो।
आश्रित होकर जीने से बेहतर मर जाना,
अपमान से रोटी, बेहतर भूखा सो जाना।
नहीं तमन्ना रही कभी, हों ख्वाब सुनहरे,
मान सम्मान जो मिले, पा खुश हो जाना।
अच्छा बुरा जो भी मिलता, कर्मों का फल है,
प्रभु कृपा रही मुझ पर, जीवन का संबल है।
कड़वे मीठे अनुभव मुझको, नित राह दिखाते,
मानवता हित सदा समर्पित, मेरा पल पल है।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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