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गुप्त नवरात्र एवं ज्योतिषीय महत्व

गुप्त नवरात्र एवं ज्योतिषीय महत्व

लेखक — अवधेश झा (श्रीहरि ज्योतिष)

भारतीय वैदिक परंपरा में नवरात्र केवल धार्मिक अनुष्ठान का अवसर नहीं, बल्कि ग्रह-नक्षत्रों की ऊर्जा के साथ साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक श्रेष्ठ अवसर होता है। विशेषकर गुप्त नवरात्र, जिनका प्रारंभ इस वर्ष 26 जून 2025 को हुआ है, तंत्र-ज्योतिष, आध्यात्मिक उन्नयन, तथा ग्रहबाधा निवारण की दृष्टि से अत्यंत फलदायी माने जाते हैं।

गुप्त नवरात्र और ग्रह शक्तियाँ: गुप्त नवरात्र के नौ दिन चंद्रमा की शुक्ल पक्षीय गति में आते हैं। यह काल चंद्र ऊर्जा के विस्तार का समय होता है, जो मन, भावनाओं, स्मृति, और अंतर्ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। जब चंद्रमा अपने उज्जवल पक्ष में होता है, तब मंत्र शक्ति, ध्यान, और साधना अत्यंत प्रभावशाली होती है।

मुख्य ज्योतिषीय पक्ष:


चंद्रमा – मन और भावनाओं का कारक। इस काल में मन को साधने की साधना अत्यंत सफल होती है।
शनि एवं राहु – तंत्र, रहस्य और कर्मबंधन से जुड़े ग्रह। इनकी शांति हेतु गुप्त नवरात्र श्रेष्ठ अवसर है।
मंगल – तंत्र बल, साहस और रक्षा कवच प्रदान करता है। गुप्त नवरात्र में वीर भद्र साधना की जाती है।
बुध और गुरु – मंत्र सिद्धि व ध्यान की उन्नति में सहायक ग्रह।

विशेष योग और संयोग – गुप्त नवरात्र 2025: 26 जून 2025 को चंद्रमा तुला राशि में प्रवेश हुआ है, जो शुक्र की राशि है और माँ दुर्गा की शांत रूपों की उपासना के लिए अनुकूल मानी जाती है। बुध और शुक्र की युति रचनात्मक और साधनात्मक ऊर्जा को जाग्रत करेगी। इस अवधि में केतु तुला में रहेगा, जिससे तंत्र-मंत्र साधना और अदृश्य शक्तियों की उपासना अधिक प्रभावशाली होगी।

किस प्रकार लाभ ले सकते हैं?
ग्रह दोष निवारण के लिए: राहु-केतु या शनि की बाधा हो तो बगलामुखी या धूमावती देवी की साधना करें। चंद्र की शांति हेतु महागौरी या त्रिपुरा देवी की पूजा करें।
कालसर्प दोष / पितृदोष की शांति हेतु: काली साधना, भैरव साधना या नाग यंत्र पूजन करें।
सिद्धि और सफलता हेतु: लक्ष्मी और तारा देवी की उपासना विशेष फलदायी मानी गई है।
नवदुर्गा की नवधा भक्ति करें। प्रत्येक दिन एक विशेष ग्रह की शांति हेतु मां के एक रूप की अर्चना करें।


मंत्र सिद्धि के लिए: इस काल में बीज मंत्रों की सिद्धि अत्यंत सरल होती है।
जैसे –
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे (शत्रुनाश हेतु)
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः (धन वृद्धि हेतु)
ॐ क्रीं कालिकायै नमः (भय निवारण एवं तंत्र शुद्धि हेतु)


कौन से जातक विशेष लाभ ले सकते हैं?


जिनकी कुंडली में राहु-केतु, शनि, चंद्र या मंगल पीड़ित हों
जिनका मूल त्रिकोण (1st, 5th, 9th house) दुर्बल हो
जो तंत्र, ज्योतिष, आध्यात्मिक शोध या साधना से जुड़े हों
जिनको अज्ञात भय, मानसिक अशांति, या बारंबार विघ्नों से पीड़ा हो

गुप्त नवरात्र केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, अपितु एक ज्योतिषीय ऊर्जा पुनर्संयोजन का अवसर है। यह काल हमें आत्मनिरीक्षण, ग्रहदोष शांति, तांत्रिक बल और आत्मिक उन्नति का द्वार खोलता है। इस समय का सदुपयोग ज्योतिष, साधना और श्रद्धा के साथ किया जाए तो यह जीवन को नूतन दिशा में ले जा सकता है।

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