सरस्वती विद्या मंदिर कदमकुआँ में धूमधाम से मनाया गया 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

पटना, 21 जून — सरस्वती विद्या मंदिर, कदमकुआँ, पटना-03 में आज 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। विद्यालय प्रांगण में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 7:30 बजे दीप प्रज्वलन से हुई, जिसे विद्यालय की प्रबंधकारिणी समिति के उपाध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य श्री अमित कुमार सिंह ने महर्षि पतंजलि और भारत माता की प्रतिमा के समक्ष किया। दीप-मंत्र के उच्चारण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

योग प्रशिक्षक द्वारा विविध योग आसनों और प्राणायाम का अभ्यास कराया गया, जिसमें विद्यार्थियों, आचार्यगणों और अन्य कर्मियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान उपाध्यक्ष श्री अमित कुमार सिंह ने योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि – "योग निरोग जीवन की कुंजी है। योग न केवल शरीर को स्वस्थ बनाता है, बल्कि मन को भी शुद्ध और स्थिर करता है।" उन्होंने महर्षि पतंजलि के श्लोक "योगेन चित्तस्य पदेन वाचं मलं शरीरस्य च वैद्यकेन" का उल्लेख करते हुए योग की व्यापक उपयोगिता को रेखांकित किया।

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ आचार्य श्री संजय आचार्य ने अपने अंग्रेजी वक्तव्य में छात्रों को नियमित योग करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि – "Yoga should not be limited to just one day. It should be a regular practice to achieve physical fitness, mental peace, and spiritual awakening."
पूरे कार्यक्रम में अनुशासन, समर्पण और सांस्कृतिक चेतना का अद्भुत संगम देखने को मिला। विद्यालय के आचार्यगण — श्री संजय कुमार श्रीवास्तव, श्री वीरेंद्र त्रिपाठी, श्री राजीव कुमार साहू, श्रीमती किरण कुमारी, श्रीमती किरण शाही, श्रीमती वंदना श्री, श्रीमती मीनाक्षी, श्रीमती सीमा शर्मा, श्रीमती ऋतु रॉय, श्री अंकित, श्री परमानंद और श्रीमती सुषमा देवी — सभी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को गौरवान्वित किया।
विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने भी पूरे उत्साह और समर्पण के साथ योग सत्र में भाग लिया। योगाभ्यास के दौरान बच्चों ने ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन, वज्रासन, अनुलोम-विलोम, कपालभाति आदि आसनों का अभ्यास किया और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। अंत में प्रधानाचार्य महोदय ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि योग एक आध्यात्मिक विज्ञान है, जिसे हमारे प्राचीन ऋषियों ने विकसित किया था और आज इसे अपनाकर हम न केवल अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि एक संतुलित समाज की स्थापना भी कर सकते हैं।
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