बिहार की अलक्षित महिला साहित्यकारों को प्रकाश दिया है डा सुमेधा पाठक ने साहित्य सम्मेलन में पुस्तक 'बिहार की महिला साहित्यकार' का हुआ लोकार्पण

पटना, १८ मई। समालोचकों की उपेक्षा के कारण बिहार की महिला साहित्यकार अलक्षित रह गयीं। हिन्दी साहित्य के उन्नयन में समेकित रूप से बिहार की महिलाओं का भी अत्यंत महनीय योगदान है। यह दुर्भाग्य है कि उनके कार्यों को प्रकाश में लाया नहीं जा सका। सुप्रसिद्ध हिन्दी-सेवी डा सुमेधा पाठक ने श्रद्धा और निष्ठा से बिहार की महिला साहित्यकारों पर श्रम-पूर्वक सामग्री एकत्र कर अपनी पुस्तक के माध्यम से अनेक अलक्षित महिला साहित्यकारों को प्रकाश में लाया है। जो प्रसन्नता और परितोष का विषय है।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, रविवार की संध्या, सम्मेलन द्वारा प्रकाशित डा सुमेधा पाठक की पुस्तक 'बिहार की महिला साहित्यकार' के लोकार्पण-समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि डा पाठक की इस पुस्तक से एक बड़े अभाव की पूर्ति हुई है। शोध के विद्यार्थियों को भी इस पुस्तक से पर्याप्त बल और सामग्री की प्राप्ति होगी। पुस्तक में दिवंगता साहित्य-सेवियों के अतिरिक्त वर्तमान में सृजनरत महिलाओं की भी विस्तृत चर्चा है। इससे नवोदिताओं को भी ऊर्जा प्राप्त होगी।
इसके पूर्व पुस्तक का लोकार्पण करती हुईं बिहार विधान परिषद की पूर्व सदस्य प्रो किरण घई ने कहा कि बिहार के अनेक पुरुष साहित्यकार अलक्षित रह गए तो महिला साहित्यकारों के बारे में क्या कहना। महिला-लेखन को प्रोत्साहन बहुत ही कम मिला। अपने ही सबसे बड़े बाधक होते थे। विपरीत सामाजिक परिस्थितियों में भी जिन महिलाओं ने साहित्य में योगदान दिया है वे प्रणम्य हैं। लेखिका ने श्रम कर महिला साहित्यकारों और उनकी कृतियों को प्रकाश में लाकर बड़ा काम किया है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के साहित्यमंत्री भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि आलोचना-साहित्य में पुरुषों का आधिपत्य रहा है। सुमेधा जी ने आलोचना-साहित्य में हस्तक्षेप कर एक उल्लेखनीय कार्य किया है। महिला साहित्यकारों पर संभवतः यह पहली पुस्तक है।
वरिष्ठ साहित्यकार डा गीता पुष्प शॉ , डा पूनम सिंह, डा उषा सिंह, डा कृष्णा सिंह, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा भावना शेखर, कुमार अनुपम तथा लेखिका के पति राकेश मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा शालिनी पाण्डेय ने किया।
इस अवसर पर, वरिष्ठ कवि डा रत्नेश्वर सिंह, डा पुष्पा जमुआर, डा पूनम आनन्द, डा मेहता नगेंद्र सिंह, प्रो निलीमा सिंह, विभा रानी श्रीवास्तव, आराधना प्रसाद, शमा कौसर शमा, डा शशि भूषण सिंह, डा ओम् प्रकाश जमुआर, डा प्रतिभा रानी, डा ध्रुव कुमार, डा नीलम श्रीवास्तव, ऋचा वर्मा, सिद्धेश्वर, डा राजमणि मिश्र, सागरिका राय, सुजाता मिश्र, डा करुणा पीटर, इंदु उपाध्याय, मधु रानी लाल, इंदुभूषण सहाय, विद्या रानी,अनुपमा सिंह, रेखा मिश्र भारती, डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, उत्तरा सिंह, चंदा मिश्र, संगम विभा रंजन, पूनम कतरियार, अनिता मिश्र सिद्धि, डा अणिमा श्रीवास्तव, ईं अशोक कुमार, मीरा श्रीवास्तव, राकेश दत्त मिश्र, कृष्ण रंजन सिंह, डा नीतू सिंह, प्रवीर पंकज, डा सिंधु कुमारी, डा सीमा रानी समेत बड़ी संख्या में महिला साहित्यकार एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे
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