आंख से आंसूओं को विदा कीजिए
आंख से आंसूओं को विदा कीजिए।फेक बैसाखियां अब चला कीजिए।
जंग के खिलाफ जंग लड़ा कीजिए।
हौसले बुलंद दिल जरा बड़ा कीजिए।
लबों पे मुस्कान थोड़ी सजा लीजिए।
जिंदगी का यार थोड़ा मजा लीजिए।
प्यासे को पानी थोड़ा पिला दीजिए।
सजा ही सही ना कोई गिला कीजिए।
तिरछी नजरें यूं थोड़ी झुका लीजिए।
ना ही किसी को कोई धोखा दीजिए।
लफ्जों के मोती माला बना लीजिए।
गीत सुहाना प्यारा कोई सुना दीजिए।
हंसी है वादियां आप भी घूम लीजिए।
खुशी का इजहार थोड़ा झूम कीजिए।
नेह की गंगा निर्मल मधु बहा दीजिए।
काव्य की सरिता पावन नहा लीजिए।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
रचना स्वरचित व मौलिक है
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