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शेरनिया तैनात खड़ी अब सरहद पर

शेरनिया तैनात खड़ी अब सरहद पर

युद्ध के बादल मंडराए है अब सर पर।
शेरनिया तैनात खड़ी अब सरहद पर।
नारी शक्ति है रणचंडी बनकर टूट पड़े।
हिम्मत हौसले है साहस उर बहुत बड़े।

बिजली बनकर तूफानों से टकराती है।
महा समर में शौर्य शेरनी दिखलाती है।
पराक्रम देख दुश्मन जो डर जाते सारे।
बैरी कांपे थर थर पूरा देखे दिन में तारे।

गरजती सिंहनी कोई ज्वाला फूट पड़े।
दुश्मन पे बन महाकाल कोई टूट पड़े।
शेरनिया सरहद पर बुलंद हुंकार भरे।
जांबाज सिपाही है हाथों में बंदूक धरे।

रण में रणचंडी जब जौहर दिखलाती।
गोला बारूद अस्त्र शस्त्र भीषण लाती।
महासमर में बेटियां लड़े लड़ाई बढ़कर।
शत्रु का विनाश करती मैदान में डटकर।
शौर्य धरा है शेरनियां जब गर्जना करती।
अरिदल कांपती छाती सोई आत्मा मरती।


रमाकांत सोनी सुदर्शन


नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान

रचना स्वरचित व मौलिक है
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