समझौता
भोजपुरी कविता ।जय प्रकाश कुंवर
तूं आपन भाषा ना छोड़बू त,
हम कइसे आपन छोड़ब।
तूं बांग्ला में बतियबू त,
हम भोजपुरी में बात करबे करब।।
प्रेम के अलगे एगो,
बुझे वाला भाषा होला।
केहू केकरो पर कभी,
आपन भाषा ना थोपेला।।
प्रेम दिल के भाव ह ऽ,
इ त खाली इशारा बुझेला।
प्रेम करने वाला कभी,
कवनो भाषा के शर्त नहीं राखेला।।
कुछ लोग प्रेम बढ़ावे खातिर,
आपन भाषा छोड़ देला।
आपन प्रभाव जमावे खातिर,
ओकर भाषा ओढ़ लेला।।
जेकरा अपना मातृभाषा से,
प्रेम नइखे, उ केहू से प्रेम का करी।
प्रेम खातिर जे आपन भाषा छोड़ी,
ओकरा पर केहू विश्वास कइसे करी।।
झगड़ा ना बढ़ा के,
आव ऽ एगो समझौता कइल जाव ऽ।
दूनों आदमी, दूनों आदमी के,
भाषा सिख लेहल जावऽ ।।
आपन भाषा बोलते हुए,
ढेड़ भाषा सिखे में कवनो ना खराबी बा।
बहुत भाषा बोले वाला के,
सब जगह सबका से शाबाशी बा।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com