Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

समझौता

समझौता

भोजपुरी कविता ।
जय प्रकाश कुंवर
तूं आपन भाषा ना छोड़बू त,
हम क‌इसे आपन छोड़ब।
तूं बांग्ला में बतियबू त,
हम भोजपुरी में बात करबे करब।।
प्रेम के अलगे एगो,
बुझे वाला भाषा होला।
केहू केकरो पर कभी,
आपन भाषा ना थोपेला।।
प्रेम दिल के भाव ह ऽ,
इ त खाली इशारा बुझेला।
प्रेम करने वाला कभी,
कवनो भाषा के शर्त नहीं राखेला।।
कुछ लोग प्रेम बढ़ावे खातिर,
आपन भाषा छोड़ देला।
आपन प्रभाव जमावे खातिर,
ओकर भाषा ओढ़ लेला।।
जेकरा अपना मातृभाषा से,
प्रेम नइखे, उ केहू से प्रेम का करी।
प्रेम खातिर जे आपन भाषा छोड़ी,
ओकरा पर केहू विश्वास क‌इसे करी।।
झगड़ा ना बढ़ा के,
आव ऽ एगो समझौता क‌इल जाव ऽ।
दूनों आदमी, दूनों आदमी के,
भाषा सिख लेहल जावऽ ।।
आपन भाषा बोलते हुए,
ढेड़ भाषा सिखे में कवनो ना खराबी बा।
बहुत भाषा बोले वाला के,
सब जगह सबका से शाबाशी बा।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ