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आशा की ओर दृष्टि

आशा की ओर दृष्टि

"यदि आप इसलिए रोते हैं क्योंकि आपके जीवन से सूर्य चला गया है, तो आपके आंसू आपको सितारों को देखने से रोक देंगे।" — यह पंक्तियाँ जीवन की कठिन परिस्थितियों में छिपी संभावनाओं को देखने की प्रेरणा देती हैं।


जीवन में जब कोई प्रिय वस्तु या व्यक्ति हमसे दूर हो जाता है, या जब परिस्थितियाँ हमारे अनुकूल नहीं रहतीं, तब हमारा ध्यान अक्सर केवल उस 'सूर्य' पर रहता है जो अस्त हो चुका है। हम दुख, निराशा और पश्चाताप में इतने डूब जाते हैं कि जीवन में मौजूद अन्य सौंदर्य—वे 'तारे'—हमारी दृष्टि से ओझल हो जाते हैं।


यह पंक्ति हमें सिखाती है कि हर समाप्ति एक नई शुरुआत का संकेत हो सकती है। जब एक रास्ता बंद होता है, तब कई नए रास्ते खुलते हैं—यदि हम उन्हें देखने का साहस रखें। सितारे तभी दिखते हैं जब अंधकार होता है; इसी तरह, संकट के समय में ही आत्मबल, आशा और आंतरिक प्रकाश की पहचान होती है।


इसलिए, जीवन में जब सूर्य अस्त हो, तब रोने के बजाय आँखें पोंछकर आकाश की ओर देखना चाहिए—क्योंकि शायद वहीं से एक नई रोशनी जन्म ले रही हो।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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