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तूफान की आहट

तूफान की आहट

फिजां में कुछ खामोशी सी छा रही है।
लगता है किसी तूफान की आहट आ रही है।।
पेड़ों पर पक्षी उड़ते और चह चहा रहे हैं।
घास चरते मवेशी घर को भागे जा रहे हैं।।
दूर आकाश में हवा का गुब्बार छा रहा है।
नीले आकाश का रंग मटमैला होते जा रहा है।।
गृहस्थ अपने बिखरे सामान समेटने लगे हैं।
फिजां का रंग देख बच्चे घर में दुबकने लगे हैं।।
अब तो दूर आकाश में बिजलियां चमकने लगी हैं।
शांत वातावरण में दूर गड़गड़ाहट भी होने लगी है।।
जान माल की रक्षा हेतु, तैयारी हमें करना है।
मानवता की रक्षा हेतु, हर तूफान से हमें लड़ना है।।
चाहे प्राकृतिक तूफान हो, या फिर मानवीय,
तूफान हमेशा संसार में, विनाश ही तो करता है।
प्राकृतिक तूफान को आहट पा भी हम रोक नहीं सकते,
परंतु मानवीय तूफान रोकने का उपाय,
आहट पा कर भी, मनुष्य प्रयास क्यों नहीं करता है।।
 जय प्रकाश कुवंर

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