पहुनाई और आपन घर
पहुनाई में रह के दिन ना ओराई।लौट के आवेके परी अपना घरे भाई।।
एक से दू दिन केहू पाहून सोहाला।
ओकरा बाद पाहून बोझ बन जाला।।
इज्जत एही में बाटे बेसी दिन ना गवांईं।
जाए के केहू बोले, ओहसे पहिले लौट आईं।।
पहिला दिन खाये के निमन भेंटाई।
दूसरा दिन से टूकूर टूकूर देखे के पड़ जाई।।
पहुनाई के लोग सोची जे,
पाहून कब जइहें।
कतना दिन ले इहाँ बैठल बैठल,
एह घर के खाना खइहें।।
भला एही में बाटे, अपना घरे लौट आईं।
घर के साग सत्तू जवन बाटे, आनंद से खाईं।।
जय प्रकाश कुवंर
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com