भेंट-संबंध: अदृश्य ईश्वरीय योजना
हमारे जीवन में जो लोग आते हैं, जो रिश्ते बनते हैं, वे केवल संयोग नहीं होते — वे प्रकृति की सूक्ष्म योजना का हिस्सा होते हैं। जब जीवन हमें किसी से जोड़ता है, तो उसके पीछे एक उद्देश्य, एक सीख या आत्मिक यात्रा का चरण छिपा होता है। इन संबंधों, मुलाकातों और भेंटों को केवल तात्कालिक लाभ या स्वार्थ की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें ईश्वर की एक अमूल्य भेंट मानकर स्नेह, निष्ठा और संवेदना से सींचा जाना चाहिए।
लेकिन आज के भौतिकतावादी युग में, जब हर संबंध का मूल्यांकन लाभ-हानि की तराजू पर किया जाने लगा है, तब यह और भी आवश्यक हो गया है कि हम इन प्राकृतिक संयोगों को स्वार्थ की बलि वेदी पर न चढ़ाएँ। संबंध कोई सीढ़ी नहीं होते, जिनकी पीठ पर पैर रखकर हम सामाजिक या आर्थिक ऊँचाइयों तक पहुँचने का लक्ष्य बना लें।
हमें यह समझना होगा कि धन और अवसर जीवन में अनेक बार मिल सकते हैं, पर आत्मीय संबंध, सच्ची संवेदनाएँ और नि:स्वार्थ भावनाएँ बार-बार नहीं आतीं। यदि हम किसी व्यक्ति से केवल अपने हितों की पूर्ति हेतु जुड़ते हैं, तो हम न केवल उस आत्मीयता का अपमान करते हैं, बल्कि प्रकृति की उस अदृश्य योजना का भी अपमान करते हैं, जो हमारे विकास हेतु उस व्यक्ति को हमारे जीवन में लाती है।
इसलिए आइए, संबंधों को मूल्य दें, भेंटों को आदर दें और हर उस व्यक्ति का स्वागत करें जो हमारे जीवन में ईश्वर की प्रेरणा से आता है — क्योंकि वही हमारा दर्पण भी है और हमारी यात्रा का एक रहस्यमयी साथी भी।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा
(कमल सनातनी)
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