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शब्दों की आत्मा में उतर कर देखिए,

शब्दों की आत्मा में उतर कर देखिए,

शब्दों के भाव क्या, समझ कर देखिए।
मौन होते मुख से, तब नयन से बोलते,
शब्द के अर्थ में, जगत का सार देखिए।


शब्द ही ज्ञान हैं, शब्द ही विज्ञान हैं,
शब्द की सामर्थ्य, शब्द में बयान है।
ॐ में ब्रह्मांड स्थित, ॐ गुंजायमान,
शब्द शक्ति का गुंजन, शब्द प्राण है।


शब्द ही हैं रामायण, गीता पुराण हैं,
शब्दों में ही महावीर, बुद्ध का ज्ञान है।
पाप पुण्य की गाथा, शब्दों में कही है,
ऋषियों की वाणी, ज्ञान का बखान है।


राम में निहित अर्थ, बस राम में निहारिये,
पाताल आकाश मृत्युलोक, राम में पाइये।
तीन लोक के स्वामी, मेरे हृदय में रम रहे,
आनन्द का मूल स्रोत, राम को अपनाइये।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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