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दिव्य रश्मि के स्थापना एवं वीर सावरकर जयंती समारोह में साहित्यकारों का सम्मान

दिव्य रश्मि के स्थापना एवं वीर सावरकर जयंती समारोह में साहित्यकारों का सम्मान

“दिव्य रश्मि” स्थापना दिवस एवं वीर सावरकर जयंती समारोह में साहित्य, समाज और राष्ट्रभक्ति को समर्पित विभूतियों का भव्य सम्मान

देश के प्रतिष्ठित साहित्यिक-सांस्कृतिक मंच “दिव्य रश्मि” पत्रिका के 12वें स्थापना दिवस और वीर सावरकर की 142वीं जयंती के अवसर पर एक गरिमामय वार्षिकोत्सव सह सम्मान समारोह का आयोजन पटना के पटेल पथ स्थित जगजीवन राम शोध संस्थान सभागार में भव्य रूप से संपन्न हुआ। यह आयोजन न केवल साहित्यिक चेतना का उत्सव था, बल्कि राष्ट्रभक्ति और सामाजिक जागरूकता की प्रेरणाओं से ओतप्रोत एक ऐतिहासिक पल भी बना।
साहित्य और राष्ट्रचेतना का अद्वितीय संगम

इस भव्य आयोजन की अध्यक्षता दिव्य रश्मि पत्रिका के संस्थापक-संपादक एवं राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चिंतक डॉ. राकेश दत्त मिश्र ने की। उन्होंने “दिव्य रश्मि” की अब तक की 12 वर्षों की यात्रा पर एक विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह पत्रिका एक वैचारिक आंदोलन बन चुकी है, जो धर्म, संस्कृति, साहित्य, समाज और राष्ट्र के व्यापक सरोकारों से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि इस मंच से अनेकों नवोदित और वरिष्ठ लेखकों को सशक्त मंच मिला है।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण: सम्मान समारोह

समारोह में विभिन्न क्षेत्रों से आए साहित्यकारों, इतिहासकारों, समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों को अंगवस्त्र एवं गरिमामयी सम्मान-पत्र देकर सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में प्रमुख नाम रहे:

सत्येन्द्र कुमार पाठक – प्रख्यात साहित्यकार, इतिहासकार एवं निर्माण भारती के संपादक


डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव – सुप्रसिद्ध कवयित्री एवं स्वर्णिम कला केंद्र, मुजफ्फरपुर की अध्यक्षा

डॉ. दिव्या स्मृति – राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

डॉ. संगीता सागर – उप महाप्रबंधक, जीवन बीमा निगम, मुजफ्फरपुर

डॉ. शीला शर्मा – राज्य सचिव सह पश्चिमी चंपारण जिलाध्यक्ष

अनंता कुमारी – बिहार राज्य सचिव

इन सभी को उनकी साहित्य, कला, समाजसेवा, पत्रकारिता और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्रों में दिए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए “दिव्य रश्मि सम्मान” से विभूषित किया गया।
प्रेरणादायक वक्तव्यों और रचनात्मक प्रस्तुति ने बांधा समां

इस अवसर पर गया के लेखक कमलेश पुण्यार्क और वरिष्ठ रचनाकार शारदेय मारकण्डेय ने दिव्य रश्मि पत्रिका की रचनात्मक दिशा और वीर सावरकर के क्रांतिकारी व्यक्तित्व पर प्रभावशाली विचार रखे।
डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव ने वीर सावरकर की स्मृति में एक भावपूर्ण कविता का पाठ किया, जिसमें वीर सावरकर के त्याग, तप और देशभक्ति का चित्र उभर आया।
डॉ. संगीता सागर ने कहा कि "दिव्य रश्मि जैसे मंच साहित्य और संस्कृति के सशक्त संवाहक हैं, जिनसे नई पीढ़ी को सीखने को मिलता है।"

सत्येन्द्र कुमार पाठक ने अपने वक्तव्य में दिव्य रश्मि और वीर सावरकर को “राष्ट्र, ज्ञान और समाज का प्रतिबिंब” कहा। उन्होंने लेखक कमलेश पुण्यार्क को “श्रीदामोदर स्त्रोत” भेंट करने पर कहा कि यह 1928 से 1990 के बीच रचित भक्ति रचना है, जिसका प्रकाशन संवत् 2012 में हुआ, और यह श्रीकृष्ण को समर्पित एक अनुपम आध्यात्मिक ग्रंथ है।
वीर सावरकर की प्रेरणादायक जीवनी पर प्रकाश

इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर भी विस्तृत चर्चा की गई।
उनका जन्म 28 मई 1883 को नासिक जिले के भगूर गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। अल्प आयु में माता-पिता को खो चुके सावरकर ने मित्र मेला और फ्री इंडिया सोसाइटी जैसे संगठनों की स्थापना कर युवाओं को ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़ा किया।
1910 में ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर अंडमान की सेल्युलर जेल में भेजे गए सावरकर को उनके असाधारण साहस और राष्ट्रप्रेम के कारण “वीर” की उपाधि प्राप्त हुई। 1966 में उनका निधन हुआ, लेकिन उनके विचार आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं।
भावनाओं और कृतज्ञता से भरा समापन

इस आयोजन में देशभर से आए साहित्य, कला और सामाजिक क्षेत्र की हस्तियों ने भाग लिया और इसे प्रेरक व ऐतिहासिक अवसर बताया।
जीवनधारा नमामी गंगे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. हिरिओम शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार विष्णुकांत मिश्र, पंजाब नेशनल बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी सत्येन्द्र कुमार मिश्र, गढ़वा से आर.के. विश्वकर्मा, थावे विद्यापीठ गोपालगंज से इंदुभूषण पाठक एवं पटना से राकेश कपूर सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने शुभकामनाएं दीं और आयोजन को 
दिव्य रश्मि की यह 12वीं वर्षगांठ केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि साहित्य, राष्ट्रप्रेम और सांस्कृतिक चेतना के त्रिवेणी संगम का प्रतीक बन गई। यह समारोह उन सभी सृजनशील प्रतिभाओं को प्रेरणा देता है, जो लेखनी के माध्यम से समाज और राष्ट्र को दिशा देने में जुटे हैं।

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