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मंत्र सुख शांति का

मंत्र सुख शांति का

कभी हम गर्व करते है
कभी गमों को पीते है।
खुशी के पलों को भी
गमों से नीचे रखते है।
इसलिए तो हम सबसे
अगल ही दिखते है।
समानता के भावों को
सदा ही दिलमें रखते है।।


जिसे मान मर्यादाओं का
विचार दिलमें आता है।
वो इंसान सुखो से देखो
बहुत ही दूर होता है।
उठाकर देख लो इतिहास
अभिमान के चलते हारे है।
और अपनी सुख शांति को
सदा ही भंग करते है।।


संभलकर और समझकर के
जो इंसान जीते जिंदगी।
सदा ही हंसी खुशी से
भरा रहता है उनका घर।
सफलता भी इन्हीं के
सदा ही चूमती कदम।
और सुख समृध्दि भी
इन्हीं के घर में रहती है।।


जय जिनेंद्र

संजय जैन "बीना" मुंबई
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