शान्ति की राह बुद्ध चले, देश खंडित हो गया,
तुष्टिकरण खेल देश में, देश खंडित हो गया।जब हमारे नागरिकों पर पाक हमले कर रहा,
मौन मुख नींद दिखावा, देश खंडित हो गया।
बस क्रिया की प्रतिक्रिया दी, शान्ति चिल्लाने लगे,
दुश्मन ज़रा चोटिल हुआ, शान्ति मसीहा आने लगे।
दुश्मन हमारे नागरिकों पर, निर्बाध हमले करता रहे,
भारतीय वीरों की बदला, दस्त अपनों को आने लगे।
हो शान्ति की कामना तो, युद्ध भी ज़रूरी है,
युद्ध काल के बाद मरहम, बुद्ध भी ज़रूरी है।
बुद्ध के मार्ग चल, शान्ति प्रयास निराधार रहेंगे,
दोगलो को निपटा कर, रक्त शुद्ध भी ज़रूरी है।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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