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‘सनातन राष्ट्र शंखनाद’ महोत्सव में ‘पद्मश्री’ के समान 4 लोगों को ‘हिंदू राष्ट्र रत्न’ व 18 लोगों को ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार !

‘सनातन राष्ट्र शंखनाद’ महोत्सव में ‘पद्मश्री’ के समान 4 लोगों को ‘हिंदू राष्ट्र रत्न’ व 18 लोगों को ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार !

  • हिन्दू राष्ट्ररत्न : आचार्य गणेश्‍वर शास्त्री द्रविड, डॉ. सच्चिदानंद शेवडे; सनातन धर्मश्री : विधायक टी. राजा सिंह, अधिवक्ता विष्णु जैन, प्रमोद मुतालिक

फोंडा, गोवा (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेनगरी) - सनातन संस्था की ओर से आयोजित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद’ महोत्सव में हिंदू धर्म जागृति और राष्ट्र रक्षा के लिए कार्य करनेवाले व्यक्तियों को सम्मानित किया गया । सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बालाजी आठवले के 83वें जन्मोत्सव के निमित्त पर उनके शुभ हाथों से 4 लोगों को ‘हिंदू राष्ट्र रत्न’ और 18 लोगों को ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार देकर सम्मान किया गया । इस अवसर पर कार्यक्रम में 23 देशों के 20 हजार से अधिक साधक और हिंदू धर्मप्रेमी उपस्थित थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी और श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की वंदनीय उपस्थिति थी ।

इस अवसर पर सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा, देश में विविध क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं को ‘पद्म’, ‘पद्मभूषण’ और ‘पद्मविभूषण’ पुरस्कार दिए जाते हैं; परंतु हिंदू धर्म के लिए जीवन समर्पित कर कार्य करनेवालों को अब तक कोई सम्मान नहीं दिया जाता । इस कमी को पूरा करने के लिए सनातन संस्था ने यह पुरस्कार आरंभ किया है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के निमित्त हर वर्ष यह पुरस्कार दिए जाएंगे ।

उत्तरप्रदेश के आचार्य गणेश्‍वर शास्त्री द्रविड, ‘बांगलादेश मायनॉरिटी वॉच’चे संस्थापक पू. बांग्लादेश के ‘बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच’ के संस्थापक पू. अधिवक्ता रवींद्र घोष, कर्नाटक के पंचशिल्पकार पू. काशीनाथ कवटेकर, महाराष्ट्र के मुंबई के प्रख्यात प्रवचनकार डॉ. सच्चिदानंद शेवडे, इन्हें ‘हिंदू राष्ट्र रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

इसी अवसर पर ‘सनातन धर्मश्री’ पुरस्कार देकर सम्मानित करने वालों में भाग्यनगर के हिंदुत्वनिष्ठ विधायक टी. राजा सिंह, दिल्ली के काशी-मथुरा के मंदिर मुक्ति के लिए लडने वाले सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, गोवा के घनपाठी आचार्य योगेश्‍वर बोरकर, कर्नाटक के श्रीराम सेना के संस्थापक श्री. प्रमोद मुतालिक, कर्नाटक के ‘युवा बिग्रेड’ के मार्गदर्शक श्री. चक्रवर्ती सुलीबेले, दिल्ली के ‘सुदर्शन वाहिनी’ के प्रधान संपादक डॉ. सुरेश चव्हाणके, उत्तर प्रदेश के ‘प्राच्यम’ के संस्थापक कैप्टन प्रवीण चतुर्वेदी, तमिलनाडु के हिंदू मक्कल कच्ची’ के संस्थापक श्री. अर्जुन संपथ, दिल्ली के ‘सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन’ के श्री. उदय माहुरकर, कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता अधिवक्ता अरुण श्यामजी, बेल्जियम के लेखक डॉ. कोएनराड एल्स्ट, ओडिशा के ‘इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज’ के श्री. अनिल कुमार धीर, दिल्ली के अग्नि समाज’ के संस्थापक श्री. संजीव नेवर, दिल्ली के ‘सरयु ट्रस्ट’ के संस्थापक श्री. राहुण दिवान, हरियाणा के विचारक श्री. नीरज अत्री, इंडोनेशिया-बाली के ‘धर्मस्थापनम’ फाउंडेशन के रस आचार्य पू. धर्मयशजी महाराज, हिंदू विधिशास्त्र परिषद के राष्ट्रीय सचिव अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर और छत्तीसगढ के श्री. प्रबल प्रताप सिंह जुदेवजी का समावेश है ।


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