Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

विश्व कला दिवस है अभिव्यक्ति और समुदाय निर्माण का उत्सव

विश्व कला दिवस है अभिव्यक्ति और समुदाय निर्माण का उत्सव

सत्येन्द्र कुमार पाठक , प्रबंध संपादक ,
निर्माण भारती ( हिंदी पाक्षिक )
कला मानवोचित गुणों की अभिव्यक्ति का सबसे वास्तविक रूप है। दुनियाभर में कला को प्रोत्साहित करने और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 15 अप्रैल को विश्व कला दिवस मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर कला में रुचि रखने वाले व्यक्ति अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करते हैं और विभिन्न कला रूपों के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है। विश्व कला दिवस के इतिहास पर भी बात की। उन्होंने बताया कि पहली बार विश्व कला दिवस 15 अप्रैल, 2012 को मनाया गया था। लॉस एंजिल्स में इसे पहली बार आधिकारिक उत्सव के रूप में 2015 में मान्यता मिली। इसके बाद, वर्ष 2019 में यूनेस्को के सामान्य सम्मेलन के 40वें सत्र में विधिवत रूप से 'विश्व कला दिवस' मनाने की घोषणा की गई। तब से, यह दिन दुनिया भर में कला प्रेमियों के लिए एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं। इस वर्ष विश्व कला दिवस का केंद्रीय विषय "ए गार्डेन ऑफ एक्सप्रेशन क्युलटिवटिंग कम्यूनिटी थ्रू आर्ट" (एक अभिव्यक्ति का बगीचा: कला के माध्यम से समुदाय का निर्माण) है। इस विषय पर प्रकाश डालते हुए सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि कला एक ऐसी शक्ति है जो लोगों को आपस में जोड़ती है और एक मजबूत समुदाय के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह अभिव्यक्ति का एक ऐसा माध्यम है जो विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमि के लोगों को एक साथ लाने की क्षमता रखता है। विश्व कला दिवस के अवसर पर दुनियाभर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सम्मेलनों, प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। शैक्षणिक संस्थानों में विशेष रूप से बच्चों और युवाओं को कला से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के अनुसार, विश्व कला दिवस का मुख्य लक्ष्य समाज में कलात्मक अभिव्यक्तियों को मजबूती से स्थापित करना है। इसके साथ ही, यह समाज के विकास में कला के महत्वपूर्ण योगदान को भी उजागर करता है। सत्येन्द्र कुमार पाठक ने यह भी बताया कि विश्व कला दिवस ललित कलाओं का एक अंतरराष्ट्रीय उत्सव है, जिसकी घोषणा दुनिया भर में रचनात्मक गतिविधियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कला संघ (आईएए) द्वारा की गई थी। गुआडालाजारा में अंतर्राष्ट्रीय कला संघ की 17वीं आम सभा में 15 अप्रैल को विश्व कला दिवस घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया था, और इसका पहला समारोह वर्ष 2012 में आयोजित हुआ। इस प्रस्ताव को तुर्की के बेदरी बैकम ने प्रस्तुत किया था, और इसे मैक्सिको की रोजा मारिया बुरीलो वेलास्को, फ्रांस की ऐनी पौरनी, चीन के लियू दावेई, साइप्रस के क्रिस्टोस सिमेयोनिडेस, स्वीडन के एंडर्स लिडेन, जापान के कान इरी, स्लोवाकिया के पावेल क्राल, मॉरीशस के देव चूरामुन और नॉर्वे की हिल्डे रोगनस्कॉग जैसे प्रमुख कलाकारों ने सह-हस्ताक्षर किया था। इस प्रस्ताव को आम सभा ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया था। 15 अप्रैल की तिथि महान कलाकार लियोनार्डो दा विंची के जन्मदिन के सम्मान में चुनी गई थी। दा विंची को विश्व शांति, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सहिष्णुता, भाईचारे और बहुसंस्कृतिवाद के साथ-साथ कला के विभिन्न क्षेत्रों में उनके अद्वितीय योगदान के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में देखा जाता है। 15 अप्रैल, 2012 को पहले विश्व कला दिवस को सभी राष्ट्रीय समितियों और फ्रांस, स्वीडन, स्लोवाकिया, दक्षिण अफ्रीका, साइप्रस और वेनेजुएला के 150 कलाकारों का समर्थन प्राप्त हुआ था। हालांकि, इस आयोजन का उद्देश्य सार्वभौमिक है और इसमें विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम शामिल थे, जिनमें विशेष संग्रहालय समय से लेकर सम्मेलन आदि शामिल थे। वेनेजुएला ने पेंटिंग, मूर्तियां, प्रिंट, वीडियो और अन्य कला रूपों के साथ-साथ दा विंची के सम्मान में फ्लोरेंटाइन खाना पकाने के प्रदर्शन के साथ बाहरी कला प्रदर्शनियों का आयोजन किया था। वर्ष 2013 में दक्षिण अफ्रीका के म्बोम्बेला म्यूनिसिपल आर्ट म्यूज़ियम सहित दुनिया भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। हालांकि, स्वीडन में समारोहों के दौरान एक विवाद भी सामने आया था, जब स्वीडिश संस्कृति मंत्री, लीना एडेलसोहन लिलजेरोथ ने एक अश्वेत अफ्रीकी महिला का प्रतिनिधित्व करने वाले केक के जननांगों को काट दिया था। इस प्रदर्शन कला का उद्देश्य जननांग विकृति के खिलाफ एक संदेश देना था, लेकिन कई लोगों ने इस चित्रण को नस्लवादी माना था।9472987491
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ