मैं समय हूं
ऋषि रंजन पाठकशिक्षक ने पूछा, "तुम कौन हो, बताओ,
अपने अस्तित्व का अर्थ समझाओ।"
विद्यार्थी मुस्कुराया, और कहने लगा,
"सुनिए गुरुदेव, मैं कौन हूं, ये भी बता दूं।"
"मैं वर्तमान हूं, जो अभी यहां खड़ा है,
आपके सिखाए हर शब्द में बसा है।
आपके ज्ञान से जीवन में उजाला है,
हर नई राह में ये दीपक संभाला है।"
"मैं भूत हूं, जो अनुभवों में जीता हूं,
आपके अनुशासन में खुद को सींचता हूं।
बीते पल मेरी जड़ें हैं, मेरी पहचान,
आपका प्यार बना मेरी ताकत, मेरा अभिमान।"
"मैं भविष्य भी हूं, जो अनदेखा है,
आपके सपनों में जो सदा देखा है।
आपके विचारों का बीज हूं मैं,
जो एक दिन विशाल वटवृक्ष बनेगा।"
"मैं समय हूं, गुरुवर, आपके आशीर्वाद का प्रतीक,
आपकी तपस्या से बना ज्ञान का संगीत।
मैं वही हूं, जो आपकी छवि को ढोता हूं,
एक विद्यार्थी, जो आपके दिल में होता हूं।"
मैं वर्तमान, भूत और भविष्य हूं,
आपकी शिक्षा का जीवंत दृष्टांत हूं।
जो तुमने दिया, वो कभी व्यर्थ न जाएगा,
एक विद्यार्थी का जीवन, हमेशा कुछ लौटाएगा।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com