बेचैनी
ना जाने क्यों मन मेरा बेचैन है ,ना दिन को अमन ना रात को चैन है।
ना खाने की चिंता ना सोने का ध्यान है,
दिन भर खोये रहना बस यही काम है।
ना कोई अपनी सुध ना दिल में अरमान है,
फिर ना जाने क्यों दिल मेरा बेचैन है।
मन विचलित है दिल में तूफान है ,
मर्ज की दवा जो बता दे वो मेरा भगवान है।
सुरेन्द्र कुमार रंजन
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